________________
27.
विदेशों में जैनधर्म के प्रचार-प्रसार की सम्भावनाए
इस सबका निर्णय घोड़ा नहीं, घुड़सवार करेगा । योग्य घुड़सवार के बिना घोड़ा उपद्रव ही करेगा, महावत के बिना हाथी विनाश ही करेगा, निर्माण नहीं। जिसप्रकार घोड़े को घुड़सवार और हाथी को महावत के मार्गदर्शन की आवश्यकता है, उसीप्रकार विज्ञान को धर्म के मार्गदर्शन की आवश्यकता है । किन्तु दुर्भाग्य से आज धर्म को अपनी उपयोगिता और आवश्यकता की सिद्धि के लिए विज्ञान का सहारा लेना पड़ रहा है । ___ जो कुछ भी हो, यदि हमें सुख और शान्ति चाहिए तो धर्म को अपने जीवन का अंग बनाना ही होगा ।
विज्ञान की उपलब्धियों को भी नकारने की आवश्यकता नहीं है, उनके उपयोग में, प्रयोग में सावधानी की आवश्यकता अवश्य है । अणुबम विनाश भी कर सकते हैं और निर्माण भी; देश को जगमगा भी सकते हैं। हरा-भरा भी कर सकते हैं, पर सबकुछ इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसका उपयोग शान्ति के लिए करते हैं या विनाश के लिए ।
विज्ञान से प्राप्त सुविधाओं को भी नकारने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि जिस टी.वी. और वी.सी.आर. के सहयोग से आप कुत्सित चित्र देखते हैं, उन्हीं के सहयोग से घर बैठे आध्यात्मिक प्रवचन भी देख-सुन सकते हैं; जिस टेपरिकार्डर पर अश्लील गीत सुनते हैं, उन्हीं पर आध्यात्मिक गीत भी सुने जा सकते हैं । आवश्यकता धर्म के मार्गदर्शन में दिशा परिवर्तन की है ।
भाई । विज्ञान की इस दौड़ को पीछे ढकेलना संभव नहीं है, इसकी आवश्यकता भी नहीं है; आवश्यकता इसके सदुपयोग की है, जो धर्म के मार्गदर्शन बिना संभव नहीं है ।
युद्ध के मैदान में सैनिक लड़ते हैं, देश की सुरक्षा के लिए शक्ति का . संग्रह भी सैनिकों में ही किया जाता है, पर लड़ाई छेड़ने का निर्णय सैनिकों को नहीं सौंपा जा सकता, क्योंकि जो व्यक्ति निरन्तर लड़ने का अभ्यास