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________________ 13 विदेशों में जैनधर्म के प्रचार-प्रसार की सम्भावनाएं शताधिक श्रोताओं की उपस्थिति में जब हमने भारतीय संस्कृति की वैज्ञानिकता एवं सत्यनारायण की कथा की सार्वभौमिकता पर प्रकाश डाला तो लोग गद्गद् हो गए। हमने जो कुछ वहाँ कहा, उसका संक्षिप्त सार इसप्रकार है : सत्यनारायण की कथा में यह बताया गया है कि जो व्यक्ति सत्यनारायण की उपासना करता है; वह सुखी रहता है, समृद्धि उसके चरण चूमती है और जो व्यक्ति सत्यनारायण की उपासना नहीं करता है, उसे समृद्धि और सुख की प्राप्ति संभव नहीं है । ___ अपनी बात को सिद्ध करने के लिए उसमें चार व्यक्तियों को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया गया है-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य (व्यापारी) और शुद्र (लकड़हारा)। विशेषकर व्यापारी को तीन-बार उपासना करने पर समृद्ध और उपेक्षा करने पर कंगाल होते दिखाया गया है । ऊपर से देखने पर यह कथा बड़ी ही साधारण-सी लगती है, पर इसके पीछे छिपे रहस्य की ओर ध्यान देते हैं तो पता चलता है कि यह कथा कितनी महान है ? महानता के बिना किसी कथा का इतने लम्बे काल तक जन-जन की वस्तु बने रहना संभव नहीं है । यह कथा किसी व्यक्ति की कथा नहीं, सत्यनारायण की कथा है। इसमें किसी व्यक्ति की उपासना की बात नहीं कही गई है, अपितु सत्य धर्म की उपासना की बात कही गई है । क्या कोई महान व्यक्ति या भगवान ऐसा भी कर सकता है कि जो उसकी पूजा करे, उसे मालामाल करदे और जो न करे उसे फटेहाल ? हाँ, यह बात अवश्य है कि जो व्यक्ति जीवन में सत्य को अपनाएगा, वह सुखी होगा, समृद्ध होगा और जो व्यक्ति सत्यधर्म को भूल जायगा, सत्यधर्म (प्रामाणिक व्यवहार) की उपेक्षा करेगा, वह समृद्धि नहीं पा सकता ।
SR No.009440
Book TitleAatma hi hai Sharan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1998
Total Pages239
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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