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धूम क्रमबद्धपर्याय की
मियामी में उनका कम्प्यूटर एसम्बिलिंग का बहुत बड़ा व्यापार है, जिसे सभी मिल-जुलकर करते हैं ।
पूरा परिवार एकसाथ बैठकर स्वाध्याय करता है । इसप्रकार के सुव्यवस्थित सदाचारी परिवार भारत में भी बहुत कम देखने को मिलते हैं ।
मियामी उत्तरी अमेरिका का दक्षिणी भाग है, जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है । यहाँ सर्दियों में भी मौसम अच्छा रहता है, अन्य प्रान्तों के समान अधिक सर्दी नहीं पड़ती । अतः यहाँ सर्दियों में बहुत लोग आते हैं और महीनों रहते हैं । समृद्ध वृद्धजन लगभग यहीं रहना पसंद करते हैं । अतः यहाँ निजी बंगलों के अतिरिक्त पाँच हजार होटल हैं, जो सर्दियों में रिटायर्ड लोगों से भरे रहते हैं । इसलिए इसे वृद्धों का शहर भी कहा जाता है । यह अत्यन्त रमणीय स्थान है । __ मियामी से चलकर हम १३ जुलाई, १९८९ ई. के शाम को वोस्टन पहुँचे । यहाँ जैन सेन्टर के हाल में 'आत्मानुभूति प्राप्त करने के उपाय' पर मार्मिक प्रवचन व चर्चा हुई । __ वहाँ से चलकर १५ जुलाई, १९८९ ई. शनिवार को न्यूयार्क आये, जहाँ डॉ धीरूभाई शाह एवं रेखा शाह के घर पर ठहरे । उस दिन उन्हीं के घर पर प्रवचन रखा गया था । उन्होंने स्वयं की ओर से प्रवचन में आनेवाले सभी लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था भी रखी थी । उपस्थिति आशा से अधिक हो गई थी । शताधिक लोगों की उपस्थिति में हुआ यह कार्यक्रम बहुत ही अच्छा रहा ।
उन्होंने शुद्धात्मशतक के पाठ के लिए उसकी दो सौ फोटो कापियाँ तैयार करके रखी थीं । सभी के हाथ में पुस्तक देकर पहले शुद्धात्मशतक का पाठ किया गया । उसके बाद उसी की गाथाओं पर प्रवचन हुआ । चर्चा भी बहुत अच्छी हुई । पूरे प्रवचन व चर्चा का वीडियो कैसेट तैयार किया गया ।
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