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आत्मा ही है शरण
उन्होंने हमें यह भी बताया था कि वे समयसार पर हुए स्वामीजी के प्रवचनों के केसेट भी प्राप्त करने का प्रयत्न कर रहे हैं । उनकी भावना थी कि उन्हें समयसार ही सुनाया जाय । अतः वहाँ भी प्रतिदिन प्रातः उनके घर पर समयसार गाथा १४४ ही चलाई गई, जिसे सुनकर सभी को बहुत आनन्द हुआ ।
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शाम को एक दिन उनके घर, एक दिन मनहरजी सुराना के घर एवं एक दिन हिन्दू मन्दिर के हाल में प्रवचन रखे गये थे । हिन्दू मन्दिर में जैनाजैनों के लिए रखा गया प्रवचन 'भगवान महावीर और उनकी अहिंसा' विषय पर हुआ, शेष दो प्रवचन क्रमबद्धपर्याय पर चले । चर्चा भी प्रतिदिन विषयानुसार चलती ही थी । यहाँ हम साढ़े तीन दिन ठहरे । कुल मिलाकर ७ प्रवचन और इतने ही घण्टे तत्त्वचर्चा हुई ।
महेन्द्रभाई शाह अत्यधिक आध्यात्मिक रुचिसम्पन्न व्यक्ति हैं । उन्हें तैयार करने का श्रेय अहमदाबाद के रिटायर्ड जज श्री डाह्याभाई को है । वे डाह्याभाई की प्रशंसा करते थकते नहीं थे । वे उनका उपकार निरन्तर स्मरण करते रहते हैं ।
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डाह्याभाई के बेटी - जमाई वहाँ रहते हैं । उनके जमाई का नाम महेन्द्र बसाली है । वे भी आध्यात्मिक रुचिसम्पन्न हैं । डाह्याभाई उनके पास तीन-चार माह रहे थे । उसी समय उन्होंने इन लोगों को तैयार किया । उन्होंने इन्हें जैन सिद्धान्त प्रवेशिका का अध्ययन कराया, जिससे इनकी नींव मजबूत हो गई ।
महेन्द्रभाई शाह के दो छोटे भाई भी उन्हीं के साथ रहते हैं । वे भी उनके अनुगामी हैं । सभी बहुत ही विनयशील हैं । माता-पिता तो साथ रहते ही हैं, तीनों भाइयों के बच्चे भी बड़े-बड़े हैं, फिर भी चौदह व्यक्तियों का परिवार एकसाथ रहता है । विदेशी भूमि पर इतने बड़े पढ़े-लिखे परिवार का एकसाथ रहना अपने-आप में आश्चर्य है । हो सकता है सम्पूर्ण अमेरिका में यह ही एकमात्र ऐसा परिवार हो, जो साथ - साथ रहता है ।