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इसवर्ष की हमारी इस विदेश यात्रा में के अतिरिक्त तीन देश नये जुड़ गये थे :जर्मनी ।
धूम क्रमबद्धपर्याय की
अमेरिका, कनाड़ा, और इंगलैण्ड हांग कांग (चीन), जापान एवं
जून, १९८९ ई. को आरंभ होने वाली यह ५६ दिवसीय विदेश यात्रा हांग कांग से आरंभ हुई । समुद्र के किनारे सुरम्य पहाड़ी की तलहटी में बसे एक करोड़ की जनसंख्या वाले इस औद्योगिक नगर हांगकांग में हम २ जून, १९८९ ई. को पहुँचे, जहाँ मधुकरभाई सी. शाह के घर पर ठहरे । २ जून की रात को चर्चा उनके घर पर ही रखी गई थी, जो लगभग दो घण्टे तक चली और बहुत अच्छी रही। ३ जून, १९८९ ई. शनिवार के दिन शाम को आठ बजे से हिन्दू मन्दिर के हॉल में “भगवान महावीर और उनकी अहिंसा" विषय पर प्रवचन हुआ, तदनन्तर एक घण्टे तक प्रश्नोत्तर हुए । इसमें १०० से अधिक लोग उपस्थित थे । यह संख्या वहाँ की दृष्टि से आशा से अधिक थी, क्योंकि वहाँ पर जैनियों के २५-२६ घर ही हैं ।
दूसरे दिन रविवार को प्रातः ९.३० पर मधुकरभाई के घर पर कार्यक्रम रखा गया था, जिसमें भगवान आत्मा के स्वरूप पर प्रवचन हुआ, तदुपरान्त लगभग डेढ़ घण्टे तक चर्चा चली । रविवार की शाम तथा सोमवार को प्रातः भी उन्हीं के घर पर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये थे ।
यहाँ इसी वर्ष जैन सेन्टर की स्थापना हुई है । जैन सेन्टर के अध्यक्ष हैं श्री विराटभाई एवं मंत्री हैं श्री राजेन्द्र जैन ।
सोमवार की शाम विराटभाई के घर एवं मंगलवार को मनहरभाई के घर प्रवचन व चर्चा के कार्यक्रम रखे गये । शेष कार्यक्रम मधुकरभाई के घर पर ही सम्पन्न हुये ।
इसप्रकार यहाँ ५ दिन के कार्यक्रम में आठ प्रवचन और इतने ही घण्टों की चर्चा इसप्रकार १६ घण्टे के कार्यक्रम सम्पन्न हुए ।
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