________________
आत्मा ही है शरण
140
हमें तो इस बात का आश्चर्य है कि गृहस्थ होते हुए भी आप इतना प्रचार कर रहे हैं, इतना समय धर्मप्रचार में लगा रहे हैं । यह सब आप कैसे कर लेते हैं ?"
हमें आशंका थी कि यदि बंधुत्रिपुटी संकीर्ण विचारों के हुए तो अमेरिका में जिन-अध्यात्म के प्रचार-प्रसार में बाधा खड़ी हो सकती है, पर हमारी आशंका निर्मूल सिद्ध हुई - हमें इस बात की प्रसन्नता है ।
इसीप्रकार रोचेस्टर में भी डॉ. महेन्द्र दोशी एवं उनके साथियों को क्रमबद्धपर्याय की इतनी रुचि जागृत हो गई है कि उन्होंने क्रमबद्धपर्याय को अपने साप्ताहिक सामूहिक स्वाध्याय में लगा रखा है । पुस्तकें अनुपलब्ध होने से गुजराती क्रमवद्धपर्याय की सम्पूर्ण पुस्तक की १० फोटो कॉपियाँ तैयार करा ली गई हैं और विधिवत सामूहिक स्वाध्याय चल रहा है । ___डॉ. महेन्द्र दोशी ने स्वयं गहरा अध्ययन करके अंग्रेजी भाषा में क्रमबद्धपर्याय पर ५-७ पेज का एक लेख तैयार किया है, जिसकी दो सौ कॉपियाँ तैयार कराके सम्पूर्ण अमेरिका के प्रमुख लोगों को भेजी हैं । पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशनार्थ भेजा है । रोचेस्टर जैन सेन्टर के सभी सदस्यों को उक्त लेख की कॉपी भेजकर अनुरोध किया गया था कि इस विषय पर डॉ. भारिल्ल का व्याख्यान होगा, चर्चा होगी; अतः आप इसे गहराई से पढ़कर व्याख्यान सुनने पधारें ।
क्रमबद्धपर्याय के सन्दर्भ में और भी अनेक स्थानों पर इसीप्रकार का वातावरण है, जिसकी चर्चा आगे यथास्थान होगी ही । __क्रमबद्धपर्याय की हिन्दी, गुजराती और अंग्रेजी की कुल मिलाकर तीन हजार प्रतियाँ विदेशों में पहुंच चुकी हैं, फिर भी माँग बनी हुई है ।
इसप्रकार इसबार की विदेश यात्रा में लगभग सर्वत्र ही क्रमबद्धपर्याय की ही धूम रही, निरन्तर उसी का ही वातावरण बना रहा ।