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________________ [ आप कुछ भी कहो बात का विरोध किया; क्योंकि उनका मानना था कि इस प्रकार जिद पूरी करने से बच्चे बिगड़ जाते हैं। मुझे सचमुच एक केतली गर्म पानी की आवश्यकता है - यह सत्य किसी भी समझदार की समझ में नहीं आ रहा था; क्योंकि वे सब बहुत अधिक समझदार हो गये थे न! __ अब मैं अभिमन्यु की भाँति अकेला ही युद्ध के मैदान में था। एक ओर मैं अकेला और दूसरी ओर सातों महारथियों के समान मुझे घेरे हुए पूरा परिवार। यद्यपि सभी को अपने-अपने बहुत जरूरी काम थे, जिनकी वजह से मुझे कोई एक केतली पानी नहीं दे पाया था; पर अब तो आपातकाल आ गया था। अतः सभी काम स्थगित होना ही थे, सो हो गये; अब तो सबको एक मात्र काम मेरे इस आतंकवाद से निपटने का ही था; क्योंकि इससे अब सम्पूर्ण परिवार संकट में पड़ गया था। ___ मुझ जैसे हिटलर के रहते हुए घर में सुख-शान्ति कैसे रह सकती थी? कुछ भी हो, पर मुझ पर तो उन्हें काबू पाना ही था। (५) बीच में निहत्था मैं और चारों और पूरा परिवार । इसप्रकार मोर्चा जम रहा था। एक अभिमन्यु से सारे साम्राज्य को खतरा खड़ा हो गया था। अत: अब कोई न्याय-अन्याय का प्रश्न नहीं रह गया था। जैसे भी हो खतरा तो टालना ही था। यद्यपि यह खतरा एक केतली गर्म-पानी से टल सकता था, पर इसमें सारे परिवार की इज्जत का सवाल था, सारे परिवार की प्रतिष्ठा दाव पर लग गई थी। मात्र बात इतनी ही नहीं थी, इससे बच्चे के बिगड़ जाने की भी पूरीपूरी संभावना थी। बच्चे के नहीं रहने से परिवार का क्या बिगड़ता है, पर बिगड़े बच्चे से तो ...।
SR No.009439
Book TitleAap Kuch Bhi Kaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2005
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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