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[ आप कुछ भी कहो
- काठियावाड़ के कोहिनूर स्थानकवासी सम्प्रदाय के प्रभावशाली अध्यात्मप्रवक्ता श्री कानजी मुनि के अन्तर में आज निरन्तर यह विचार-प्रवाह उमड़ रहा था, जिसने उन्हें ब्रह्ममुहूर्त तक एक पल को भी सोने नहीं दिया था।
यद्यपि आज उनके पलक भी न झपके थे, पर जागरण की थकान उनके मुखमण्डल पर रंचमात्र भी न थी; अपितु जागरण का अद्भुत तेज स्पष्ट प्रतिभासित हो रहा था। उनका तेजोद्दीप्त मुखमण्डल स्पष्ट बता रहा था कि आज कुछ अद्भुत घटित हुआ है, अद्भुत घटित होगा। पर चेहरे की भाषा पढ़ना हर कोई थोड़े ही जानता है, उसके लिए तीक्ष्ण प्रज्ञा अपेक्षित है।
(२)
विचारों ने आकार ग्रहण किया और 'कानजी मुनि' 'आध्यात्मिकसत्पुरुष श्री कानजी स्वामी' के रूप में परिवर्तित हो गये। परिवर्तन का यह समाचार पेट्रोलियम पदार्थ में लगी आग के समान तूफानी गति से सम्पूर्ण काठियावाड़ में पहुँचा तो स्थानकवासी सम्प्रदाय में खलबली मच गई। ___ नगर-नगर में, गाँव-गाँव में, जहाँ देखो; वहाँ यही चर्चा थी। साम-दामदण्ड-भेद से, जैसे भी बने; उन्हें वापिस लाने के लिए उपक्रम आरम्भ हो गये थे। वातावरण एकदम उत्तेजित हो गया था। तूफानी उत्तेजना की हिलोरें मर्यादा की सीमा का उल्लंघन करने में तत्पर दिखाई देने लगी थीं।