SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रहा हो, उस समय यदि कोई आकर माथापच्ची करने लगे तो तुम्हें बड़ी गुस्सा आयेगी। सबको गुस्सा आती है, चाहे ऑफिस में हो, दुकान पर हो, कहीं भी हो। मानसिक अस्तव्यस्तता होती है तो स्वभावतः क्रोध आता है। नीतिकार ने एक कहानी लिखी है एक बार बरसात के दिनों में वया पक्षी अपने घोंसले में पानी से बचकर सुरक्षित बैठा था। बन्दर पानी से परेशान हा रहा था। कभी इस डाल पर तो कभी उस डाल पर भीगता हुआ बैठा था। मन उलझा हुआ परेशान-सा था। वया पक्षी बन्दर को समझात हुये बाला-रे श्रीमान बन्दर! तुम तो मनुष्यों-जैसी शक्ल को लिये हो, बुद्धिमान भी दिखते हा, फिर मुझ-जैसा एक घौंसला तैयार क्यों नहीं कर लेते, व्यर्थ पानी में परेशान हो रहे हो? उस मानसिक अस्त-व्यस्तता में जबकि बन्दर बड़ा परेशान हा रहा था, वया पक्षी का हितकर उपदेश भी बन्दर को क्रोध का कारण बन गया और बन्दर ने कहा-तुझे अपने घांसले का बड़ा गरूर है जो मुझे उपदेश दे रहा है। उस बन्दर ने गुस्से में वया पक्षी के घौंसले को तोड़कर फेक दिया। मानसिक अस्त-व्यस्तता में अच्छा उपदेश भी दिया जाये तो हमारे लिये क्रोध का कारण बन जाता है। अपने को सही और दूसरे को गलत सिद्ध करना भी क्रोध उत्पत्ति का कारण है। पिताजी कुर्सी पर बैठे हुये अखबार पढ़ रहे थे, मम्मीजी काम में व्यस्त थीं। बेट ने पिताजी से पूछा-पापाजी! रसिया और अमरिका में युद्ध क्यों होते रहते हैं? बहुत बार सुना है कि ये आपस में युद्ध करत रहते हैं, आखिर कारण क्या है? पापाजी कहते हैं-बेटे ! यह तो उनकी अपनी अपनी अर्थनीति है | वे एक दूसरे को समृद्ध नहीं देख पाते, इसलिये एक दूसरे को कमजोर करने के लिये आपस में (83)
SR No.009438
Book TitleRatnatraya Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurendra Varni
PublisherSurendra Varni
Publication Year
Total Pages802
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size57 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy