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चले | जैस कि एक भिखारी को, याचक का तुम लोग दरवाजे से लौटा देते हो | काश, तुम्हारी जिंदगी में ऐसा दिन आ जाये और तुम्हे कोई दरवाजे से लौटा दे तो उस समय की वेदना का तुम वर्णन कर पाआगे? जिस समय तुम आफत के मार हा और कोई तुम्हारी सहायता न करे और कहे कि तुम चले जाओ यहाँ स, उस समय तुम्हारी क्या स्थिति बनेगी? वह भिखारी शाम को एक सेठ जी के दरवाजे पहुँचा, उस समय घर में मात्र सेठानी थी, जो गरम नजर आ रही थी, क्योंकि अभी-अभी सेठजी से झगड़ा हुआ है। मियाँ बीबी में झगड़ा हो गया। पति ने पत्नी को एक थप्पड़ जड़ दिया | वह महिला भी बहुत चिड़-चिड़ स्वभाव की थी। पति पर गुस्सा उतार तो डंडा पड़ जावे | जो पत्नी पति से पिटती है, वह बेट को पीट कर अपना गुस्सा शांत करती है और बेटा कहता है कि मर गये रे फालतू में | बेटा कहता है-'मम्मी! तुम पिटी तो पिटी, लेकिन मुझे क्यों पीट दिया? मैंने क्या बिगाड़ा? मैं तो भोजन ही माँग रहा था।' एसा होता है, महिलाओं से पूछ लेना | व न बतायें तो बच्चों से पूछ लेना, वे बता देंगे। बाहर आकर कई बार बच्चे कहते हैं कि मेरी माँ को पिताजी मारत हैं और वह मुझे मारती हैं जबकि मैं कोई गलती नहीं करता।
एक बच्चे ने महाराज से कहा-दुनिया का न्याय मुझे समझ में नहीं आता, महाराज। एक बार मैंन चाय पी और प्याला रास्ते में छोड़ दिया | माँ का पैर लग गया तो माँ न पकड़कर मुझे मारा और कहा कि इतना विवेक नहीं है कि रास्ते में प्याला नहीं रखा जाता? मैंन भूल स्वीकार कर ली | भूल तो हो गयी। मेरी गलती थी, मैं पिट गया। कोई बात नहीं, मेरी भूल थी। लेकिन दूसरे दिन माँ ने चाय पीकर प्याला वहीं रखा और मेरा पैर लग गया तो कहती हैं -
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