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दिखता नहीं, अंधा हो गया क्या जो प्याला फोड़ दिया? और माँ ने मुझे पकड़कर पीटा। दोनों ही तरफ से मैं पिटा । प्रायः यही होता है, सिर्फ कमजोर ही पिटता है । मुझे दुनिया की यह नीति समझ में नहीं आती ।
यह आपका क्रोध है, यह आपका अहंकार है, कि दोनों ही स्थिति में बच्चा ही पिटा | कमजोर ही पिटा । हाँ, तो वह महिला तो गुस्से में थी ही, और इधर से दो-तीन आवाज लगा दीं भिखारी ने कि मिले माई | वह महिला गुस्से के मूड में पोंछा लगा रही थी चौके में कपड़े से, सो वो ही मार दिया । वह जाकर भिखारी के मुँह पर लगा | तीन दिन का भूखा भिखारी था। सेठानी ने कहा- कहाँ से आ जाते हैं यहाँ ? और कोई दूसरा दरवाजा नहीं मिलता ? अभी वे प्राण खाकर गये और अब तू आ गया प्राण खाने ? घर भर के पेट के लिये बनाकर रखूँ और तेरी कुठिया (पेट) के लिये भी बना कर रखूँ? मैं दशलक्षण पर्व में भी थोड़ा-बहुत धर्म करूँ कि नहीं? ऐसा कह कर वह पोंछा, वह कपड़ा मार दिया, उस बेचारे भिखारी के मुँह पर । बेचारे की आँखों में पोंछे का गंदा पानी चला गया तो उस बेचारे की आखें लाल हो गयीं । तुम्हारे पास आया था पेट की आग बुझाने के लिये परंतु तुम्हारी मार ने उसकी आँखें भी लाल कर दीं। पेट की भूख से मर रहा था, तुम्हारी मार से मरने लगा ।
भिखारी कहता है - 'भगवन् ! धन्य भाग । तीन दिन से किसी ने कुछ दिया नहीं था | आज पुण्य कर्म से कम से कम फर्श को साफ करनेवाला ही सही, कपड़ा तो मिला । धन्य है, धन्य है इस महिला को, धन्य है इस माँ को । इसने कुछ तो दिया । सोचिये, क्या उस सेठानी ने ठीक किया? अच्छा तो यह था कि वह उसे दो रोटी दे देती, लेकिन यह तो तुम्हारा कर्त्तव्य नहीं था कि साफ करने का
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