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है, कितनी पापिन है? बहू क प्राण लिए लेती है। सुबह से देखो शाम तक इसका माइक (मुँह) चलता ही रहता है। लेकिन तुमने बहू को सुना नहीं है | बहू का क्रोध भी सास से कई गुना ज्यादा है | वह बहू क्या करती थी? सास के सामने जाती थी और धीरे स चुपचाप अगूंठे का ठेंगा दिखा देती थी, और सास जैसे ही अगूंठ का ठेंगा देखती कि चिल्लाना शुरू कर देती। पड़ौसी कहते हैं कि ये सास कितनी पापिन है, कितनी निर्दयी है? चौबीस घंटे बोलती रहती है। सास जैसे ही चुप हुई, बहू धीरे से जाकर फिर ठंगा दिखा देती । तुम्हें वह ठेंगा देखने में नहीं आ रहा है | ध्यान रखना, ये भी एक बहुत बड़ी कषाय है।
क्षमा माँगने की अपेक्षा क्षमा करनेवाला ज्यादा धर्मात्मा होता है। क्षमा कर दना बहुत कठिन होता है। क्रोध करना बहुत सरल है, लेकिन सामनेवाला क्रोध कर रहा हा, फिर भी क्रोध को पी जाओ, यह बहुत कठिन है। तुमसे कहा जाय कि क्रोध मत करना, तो तुम एक बार यह नियम पालन कर लोगे, लेकिन तुमसे कोई यह कहे कि यदि काई क्रोध कर तो तुम समता परिणाम रखना, यह बहुत कठिन है | तुमसे यह कहा जाय कि किसी को गाली मत देना तो तुम कहोगे कि बिल्कुल ठीक है; लेकिन यह कह दिया जाय कि कोई गाली देवे तो सुनते रहना, यह कठिन है। 'गाली सुन मन खेद न आनो' कितना कठिन है। किसी से कह दिया जाव कि एक घंटे मौन रहना, किसी को गाली मत देना, तो यह नियम पाल लागे | किन्तु यह कह दिया जावे कि तुम्हें कोई गाली देता जाये और तुम खेद मत करना, यह कितना कठिन है? इसीलिए तो कहा है कि -
वदति वचन मुच्चै दु:श्रवं कर्क शादि |
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