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रखकर अपने मस्तक पर लेकर जगह-जगह भ्रमण करती थी। पंगु मधुर गाना सुनाता। जिससे दोनो की आजीविका चलती थी। इधर राजा नदी के प्रवाह में बहता हुआ मंगलपुरी के किनारे किसी चीज से रुक गया | वहाँ के राजा की मृत्यु हो गई थी। अतः मंत्रियां ने एक हाथी को छोड़ा था कि यह हाथी जिसे अपनी सूंड स उठाकर अपने ऊपर बिठा लेगा, उसे मंगलपुरी का राजा बना दिया जायेगा। हाथी घूमता हुआ नदी के किनारे आया और देवरति (राजा) को सूंड से उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया। अतः वहाँ के लोगों ने देवरति को मंगलपुरी का राजा बना दिया। __ इधर-उधर घूमती हुई रानी रक्ता भी उस पंगु को लेकर मंगलपुरी राज्य पहुँच गई। राजा ने उसे पहिचान लिया और स्त्री चरित्र से विरक्त होकर उसने दीक्षा ग्रहण कर ली। ___ अमृतमती की कथा सुनकर उन्हें सावधान हो जाना चाहिये, जो नित्य वेषभूषा से सुसज्जित कलाकारों के हाव-भाव सहित गाये गये गानों, मधुर स्वरों से युक्त गीतों को सुनते हैं। टी.वी. पर भी ऐसे गाने सुनकर मन के भाव बिगड़ने स नियम से शीलव्रत में दोष लगता है | अतः कभी भी स्त्री, पुरुष के एवं पुरुष, स्त्री क मधुर गाने आदि को न सुनें एवं अपने शील रत्न की रक्षा करें।
चौथा कारण है, एकान्त में स्त्री से संपर्क - शंकर नाम क एक मुनिराज आहार के लिये वन से शाम्बी नगरी के निकट आ रहे थे। मार्ग कुछ लम्बा था। नगर के बाहर एक कुटी में शून्य स्थान समझकर वे वहाँ विश्राम हेतु बैठ गये | उस कुटिया में दास कर्म करने वाली एक स्त्री रहती थी। मुनिराज ने उसे पहचान लिया कि पहले बाल्य अवस्था में यह और मैं एक साथ पढ़ते थे। मुनिराज
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