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पाण्डवों को जब वनवास मिला, तो एक बार पाँचों पाण्डव और कुन्ती एक भयानक जंगल में रुके । वहाँ रात में सभी को एक-एक करके पहरा देने की ड्यूटी लगाई गई । जब भीम पहरा दे रहे थे, तो वहाँ एक बहुत सुन्दर अप्सरा के समान महिला आई और भीम को देखकर मोहित हो गई । वह भीम के पास गई और उनसे रागभरी बातें करने लगी और बातचीत में ही उसने भीम के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया ।
भीम बोले- वास्तव में आप बहुत सुन्दर हैं । पर मेरे से एक बहुत बड़ी गलती हो गई, यदि मुझे पहले पता होता कि आप उनसे भी अधिक सुन्दर हैं, तो मैं आपके ही गर्भ में जन्म लेता । देखा, भीम ने उसे भी माँ की दृष्टि से देखा । जो व्यक्ति इन्द्रिय-विषयों में आसक्त नहीं होता, वही इस ब्रह्मचर्य व्रत का पालन कर सकता है । इस व्रत को धारण करने से आत्म शक्ति बढ़ती है, परिग्रह की तृष्णा घटती है, इन्द्रियाँ वश में होती हैं । ध्यान में अडिग चित्त लगता है और अतिशय पुण्य बन्ध के साथ-साथ कर्मों की निर्जरा होती है । ब्रह्मचर्य व्रत के पालन के लिये मन, वचन, काय से स्त्रियों में राग का त्याग करें । कुशील के मार्ग पर न तो स्वयं चलें, न दूसरों को चलने का उपदेश दें और न कुशील के मार्ग में चलने वालों की अनुमोदन करें ।
हम यह जानते हैं कि गृहस्थी में सुख नहीं, शांति नहीं । स्वयं ऐसा अनुभव भी कर रहे हैं । लेकिन मोह की विचित्र महिमा है कि हम अपने पुत्र-पुत्रियों को त्याग के मार्ग पर बढ़ने से रोकते हैं । इससे सिद्ध होता है कि अभी ब्रह्मचर्य से हमारा प्रेम नहीं है ।
यदि मातायें कुन्दकुन्द की माँ-जैसी बन जायें, जिन्होंने 5 वर्ष में
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