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ऐसा मद है जो सभी को अनादिकाल से पागल बनाये हुए है | उससे किसी ने कभी घृणा नहीं की होगी। हम उसे प्रेम पूर्वक अपना रहे हैं। संसारी प्राणी नकल का अनुसरण करते हैं -
एक बार की बात है। एक व्यक्ति की नाक कट गयी। वह जहाँ से निकले सभी लाग उसे नकटा कहें। उसने विचार किया कि क्या करना चाहिये? एक तरकीब सोची। उसने ऊपर को दखना शुरू किया और प्रसन्न होकर नाचने लगा | लोगों ने पूछा-भाई! क्या बात है? उसने कहा - अरे क्या बतायें? भगवान के साक्षात् दर्शन हो रहे हैं। दूसरे व्यक्ति ने भी ऊपर देखना शुरू कर दिया, बोला-मुझे तो नहीं हो रहे हैं भगवान के दर्शन | बोला-अर! तुम्हें दर्शन कैसे हो सकते हैं? यह तुम्हारी नाक बीच में आड़ी आ रही है। इसे कटवा ला, तभी दर्शन हो सकते हैं भगवान के | उसने अपनी नाक कटवा ली, फिर भी भगवान क दर्शन नहीं हुए | उसने कहा-मुझ तो नहीं हुए दर्शन | वह बोला-चुप रहो। इसी प्रकार कहो कि अहा! भगवान के दर्शन हा रहे हैं। नहीं तो सभी लोग तुमस नकटा कहेंग | वह भी उसी प्रकार कहने लगा। इस प्रकार सारे-के-सारे गाँव के लोगों ने नाक कटवा ली। अब कौन किस नकटा कह? काई किसी से नहीं कह सकता, क्योंकि सभी की नाक कटी है |
उसी प्रकार यह विषय-वासना पाप है। यदि यहाँ दो-चार व्यक्ति ऐस हाते, तो उन्हें हम बाहर निकाल देत | परन्तु हम सभी विषय-कषायों में लीन हैं। अब हममें से कौन किसको क्या कहे? __ब्रह्मचर्य की उत्कृष्ट साधना का सुअवसर मात्र मनुष्य के पास है, क्योंकि उसके पास बुद्धि है, विवेक है, सोचने की क्षमता है, वह जानता है कि वासना दुःख का कारण है | सुकरात से किसी ने पूछा कि-गृहस्थ
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