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माध्यम से थोड़ा बहुत तो कर ही सकते हैं। जो एक देश ब्रह्मचर्य पाल सकता है, वह एक दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का धारी भी बन जायेगा । जिसके जीवन में माँ, बहिन व पुत्री का सम्बन्ध रह गया, वह आसानी से ब्रह्मचर्य पाल सकता है । बहिन के नाम वाली लड़की से भी कोई शादी नहीं करता ।
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वर्णी जी ने लिखा है कि एक बार एक जोड़ा उनके पास आया और बोला - महाराज ! ब्रह्मचर्य व्रत दे दीजिये । उन्होंने पूछा- कितनी उम्र है आपकी? पत्नी बोली- 26 वर्ष, पति की 28 वर्ष । शादी को कितने वर्ष हो गये? वह कहते हैं, महाराज 8 वर्ष के समय में हम लोगों ने पौने आठ वर्ष ब्रह्मचर्य का पालन किया। अब हमारे भाव हमेशा के लिये ब्रह्मचर्य व्रत लेने के हैं । यह है ब्रह्मचर्य व्रत धारण की पवित्र भावना |
हम लोग मोह के कारण इन पर - पदार्थों में सुख ढूंढ रहे हैं और अपने आत्मीय आनन्द से वंचित हैं |
संखिया नामक विष को खाने से मृत्यु हो जाती है । कोई खाना चाहता है क्या? नहीं, क्यों? मर जायेंगे। दूसरी शराब होती है, जिसे पीने से आदमी अपना होश खो देता है। कोई उसे पियेगा क्या? नहीं । वह पीने वाले को स्वभाव से विचलित कर देती है । समाज में पीने वालों की इज्जत नहीं रहती है । कदाचित् कोई पीकर यहाँ आ जाये, तो भगा देंगे और यदि कोई सज्जन आ जाय, तो उठकर आदर सहित, सम्मान के साथ बैठायेंगे । 'छहढाला' में हम पढ़ते हैं
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मोह महामद पियो अनादि, भूल अपको भरमत वादि ।
दो प्रकार के मद होते हैं । एक तो ऐसा मद जो घंटे - दो-घंटे को ही पागल बनायेगा, किन्तु यह मोह, यह विषय-वासना तो एक
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