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उसे देखिये । आप अनजान बन जाइये तो सामने वाले का क्रोध ठंडा पड़ जायेगा | क्योंकि क्रोध का जबाब क्रोध से देना, ईंट का जबाब पत्थर से देना है और अपना ही सिर फोड़ना है । इस संसार में क्रोध बहुत बुरा है । जिन्दगी में अनेक दुष्कृत्य कराने में, यह क्रोध बहुत बड़ा कारण है |
व्यक्ति कितनी जल्दी अपना नियंत्रण खो देता है । किसी ने दो कड़वे शब्द कह दिये और आप भड़क गये। किसी ने आपके खिलाफ कुछ बोल दिया और आप भड़क गये, आपकी इच्छा के विपरीत कुछ हो गया और आप भड़क गये । अपना विरोध सुनने की आदत डालो । दुनिया में विरोधियों की कमी नहीं है । हर बार अपना ही मनचाहा नहीं होता है, कभी औरों का चाहा भी होता है। हर बात का जवाब देना जरूरी नहीं है, कभी चुप रहना भी जरूरी है ।
आप दुकान से घर आये । पत्नी ने आपके सामने खाने की थाली लगा दी। आपने खाना शुरू किया। खाना शुरू होते ही पत्नी ने कहा सुनो! वो बाजार से आते हुये मेरी नई साड़ी ले आये क्या? पति बोले- अरे मैं तो भूल ही गया । अब पत्नी गुर्राई : हाँ भूल गये, मेरा ही काम भूलते हो। तुम्हारी माँ का काम होता तो थोड़ी ना भूलते। अब पति का दिमाग गरम हो गया । बोला- खबरदार, जो मेरी माँ को बीच में लाई । पत्नी बोली- हूँ और जब तुम मेरी माँ को लाते हो तब ? तुम्हारी माँ, माँ और मेरी माँ कुछ नहीं । अब पति गुस्से में उठा और परोसी हुई थाली को लात मार दी तथा घर से दुकान को चला गया। अब वह दुकान पर बैठा है, पर भीतर उथल-पुथल मची हुई है । सारा गुस्सा ग्राहकों पर निकाल रहा है। और ग्राहक भी कहते हैं, कैसा बदतमीज दुकानदार है। कितना गुस्सा करता है । चलो किसी और दुकान पर चलते हैं। उधर भोजन बिगड़ा, इधर
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