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जायेगा। इस कारण वह दुःखी है । अब परिवार को लेकर कहाँ जाएँ, किससे मदद माँगे । यदि कहीं से 300 रुपयों की मदद मिल जाये तो मकान बच जायेगा । नीलामी नहीं होगी। आज की तारीख में कोर्ट में 300 रुपये जमा करना जरूरी है। ईश्वर चन्द्र ने सारी बात सुनी और कहा कि चिंता मत करो, दुःखी मत होओ, भगवान पर श्रद्धा रखा, सब ठीक हो जायेगा । उस व्यक्ति ने सोचा कि ओरों की तरह ये भी आश्वासन देकर चले गये । वह दुःखी मन से घर पहुँचा और इन्तजार करने लगा कि मकान नीलाम करने वाले आते ही होंगे । सारा दिन बीत गया पर कोई नहीं आया । उसे मालूम पड़ा कि अब घर नीलाम नहीं होगा। कोर्ट में 300 रुपये जमा कर दिये गये हैं । वह समझ गया कि यह उपकार तो ईश्वर चन्द्र का है । वह भागा-भागा उनके घर गया और उनके चरणों में गिरकर आँसू बहाने लगा । ईश्वर चन्द्र ने उसे उठाकर गले लगाया ।
जिस दान में प्रदर्शन की भावना नहीं होती, वही सच्चा दान कहलाता है, अतः निष्काम दातार बनो । दान से व त्याग से ही व्यक्ति की महानता है ।
एक सेठ जी बहुत कंजूस थे उन्होंने कभी भी दान नहीं दिया था। एक बार वे दुकान से लौट रहे थे । मन्दिर में दान पर प्रवचन चल रहा था । सेठ जी भी सबसे पीछे जाकर प्रवचन सुनने बैठ गये । प्रवचन सुनकर उनके भाव भी दान देने में दे दूं। वे खड़े हुये और महात्मा जी के पास जाने लगे। किसी ने उन्हें जाने के लिये जगह तक नहीं दी । लोगों ने सोचा ये कंजूस सेठ महात्मा जी से कहेगा मुझे ऐसा आशीर्वाद दे दो जिससे कहीं से लाख-दो लाख रुपये प्राप्त हो जायें । बड़ी मुश्किल से सेठ जी महात्मा जी के पास पहुँचे और कहा मैं यह रुपयों से भरी थैली दान मे दे रहा हूँ । इतना सुनते
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