________________
मुझे चिन्ता किस बात की है ? झूठ बोलो, बेईमानी करो तथा प्रपंच कर पैसा बनाओ। एक दिन कन्जूस सेठ का परिवार सात दिन के लिये बाहर चला गया। तभी सेठ ने यह अच्छा अवसर देख तहखाने में प्रवेश किया और अन्दर जाकर ताला लगा दिया |
सेठ देख रहा है कि एक ओर सोने-चाँदी की सिल्ली की तह-पर-तह लगी हैं। और एक तरफ हीरे, जवाहरात और मोतियों के ढेर लगे हुए हैं। नोटों की गड्डियाँ सन्दूक में भरी पड़ी हैं । कई घण्टे दौलत को निहार कर जब बाहर को चला तो द्वार बन्द था चाबी अन्दर आते समय बाहर रह गयी थी । ताला चाबी के बिना बन्द हो जाता था । परन्तु खुलता नहीं था । सेठ घबरा गया अन्दर से शार मचाया, चिल्लाया पर वहाँ कौन बैठा था, जो पुकार सुनता। तीन चार दिन में सेठ ने तड़प-तड़प कर प्राण दे दिये ।
इस परिग्रह की आसक्ति ही दुःख व संसार - भ्रमण का कारण है । अब तक संसार में रुलते - रुलते इन प्राणियों ने सब कुछ देखा, बाहरी अनेक बातें देखीं, किन्तु एक निज को न देख सका । इसका परिणाम यह हुआ कि यह जन्म-मरण के दुःख भोगता आ रहा है । अतः अब तो इस शरीर से भिन्न अपनी आत्मा की पहचान करो ।
एक साधु जी राज राजा के दरबार में जाते थे और राजा को एक सुन्दर - सा फल भेंट में देते थे । राजा उसे सामान्य फल जानकर मंत्री को दे देता था। मंत्री समझदार था। वह सारे फल रखता जाता था । एक दिन जब साधु जी राजा को फल भेंट कर रहे थे । तब राजा के मन में विचार आया कि आखिर बात क्या है । ये साधु जी मुझे रोज एक फल भेंट में देकर जाते हैं। देखना चाहिये कि यह फल कैसा है ? जैसे ही फल खाने के लिये राजा ने उसे तोड़ा तो
511