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तो रईस पशु हैं, वे बैलों के समान इतना बाझा लादकर नहीं ला सकते | बड़ी मुश्किल स किसी तरह लाये, फिर राजा छत पर आया तो घोड़ों को बैलों से कहते सुना कि भाई बैला तुम आज मर-से पड़े रहे, सो ठीक है, परन्तु राजा की आज्ञा हुई है कि जब बैल बीमार पड़े, तो उनकी इतनी पिटाई करना कि वे याद रखें । राजा ने सोचा कि ये घोड़े ता बड़े बदमाश हैं| जब राजा रानी के महलों में गय, तो उन्हें हँसी आ गई। रानी न पूछा कि आप हँसे क्यों? राजा ने बहुत मना किया कि देखो, मत पूछो । परन्तु रानी न मानी, तब राजा बोलने लग कि मुझे पशुओं की बोली समझ में आती है, मैंने घोड़ों की बात सुनी, वे बड़े ही बदमाश हैं। राजा ने घोड़ों और बैलों की बात रानी को बता दी। तब रानी जिद करने लगी कि मुझे यह पशुओं की बोली सिखाओ | तब राजा न मना किया कि जिन्होंने मुझे यह बोली सिखाई है, उन्होंने यह कहा है कि यदि यह बोली तुम किसी अन्य व्यक्ति को सिखाओगे तो तुम्हारी मृत्यु हो जायेगी। अतः यदि मैं तुम्हें यह सिखाऊँगा, तो मैं मर जाऊँगा। रानी फिर भी नहीं मानी और बहुत जिद की। तब राजा को वायदा करना पड़ा। अब राजा बहुत दुःखी थे। जब सब जानवरों को यह बात मालूम हुई, तो सबका शोक पैदा हो गया । वे कहने लगे कि आज राजा रानी को जानवरों को बोली सिखायेंगे और उनकी मृत्यु हो जायेगी। सारे-के-सारे जानवर इससे बहुत दुःखी थे। राजा एक स्थान पर जाकर चिन्ता ग्रस्त होकर बैठ गया। वह क्या देखता है कि सब जानवर ता दुःखी थ, परन्तु एक स्थान पर एक मुर्गा और मुर्गी खेल रहे थे और बड़े हँस रहे थे। दूसरे जानवरों ने उनसे कहा कि अरे कृतघ्नी! तुम बड़े दुष्ट हो। राजा मर जायेगा, इससे सार पशु तो दुःखी हैं और तुम खुशी मना रहे हो? तब उन्होंन उत्तर दिया कि
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