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गए पुनः मनुष्य पर्याय धारण की और मनुष्य पर्याय में एक अंतर मुहूर्त रहे और मरकर वे निगोद चले गये और निगोद में एक भव कितने समय का होता है? एक श्वास में अठारह भव होते हैं । वहाँ पर वे एक सप्ताह के अंदर जन्मे और मरे आठ दिन में पूरे भव करके आ गये । निगोद से निकलकर और उसी नगर में मनुष्य बनकर मुनि हुये अर्थात् आठ वर्ष अन्तर्मुहूर्त के बाद फिर मुनि बनकर के उसी पेड़ के नीचे बैठ गए। देखिये, कितना समय लगा? एक अन्तर्मुहूर्त दूसरी मनुष्य पर्याय का, आठ दिन निगोद के और आठ वर्ष इस बालक दशा के । कुल आठ वर्ष, आठ दिन और एक अन्तर्मुहूर्त या दो अन्तर्मुहूर्त ऊपर इतने में आकर मुनि बनकर उसी जगह पर, उसी पेड़ के नीच बैठ गए। वह श्रावक अभी वहीं के वहीं हैं । वे श्रावक अभी मरे नहीं । वे दोनों श्रावक फिर समवशरण में जाते हैं, रास्ते में उसी वृक्ष के नीचे मुनिराज बैठे थे । उन महाराज को बैठे देख वे दोनों श्रावक कहते हैं अरे महाराज ! इस पेड़ के नीचे से उठ जाओ, इस पेड़ के नीचे आठ साल पहले एक महाराज बैठे थे, भगवान से मैंने पूछा था उनके कितने भव शेष हैं तो वे बोले पेड़ के पत्ते जितने । आप उठ जाइये, नहीं तो मैं अभी भगवान से पूछकर आता हूँ और वे भगवान के पास जाकर पूछते हैं-आठ साल पहले आपने उस पेड़ के नीचे बैठ मुनिराज के भव बताये थे, इमली के पेड़ के पत्ते जितने । उसी पेड़ के नीचे उसी आसन में एक मुनि महाराज और बैठे हैं, उनके भव कितने शेष हैं? भगवान कहते हैं- तुम जब तक लौटकर पहुँचोगे तब तक उनको केवलज्ञान हो गया होगा। यह वही महाराज हैं जो आठ वर्ष पूर्व वहाँ पर बैठे थे और जिनके विषय में मैंने कहा था कि उनके भव इमली के पत्ते के बराबर शेष हैं। वही जीव, वही महाराज । वही कैसे ? हम तो यहीं
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