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द्वारा पकड़े जाने पर प्राणदण्ड की आज्ञा हुई है ।
आगे बढ़ने पर देखा कि एक कोतवाल सिपाही का एक अंग काट रहा है। पूछने पर पता चला कि इस पापी ने अपनी मौसी की पुत्री के घर जाकर रात्रि में उसके साथ व्यभिचार किया है । अतः राज्य कर्मचारी इसे ऐसा दण्ड दे रहे हैं ।
और आगे बढ़ने पर देखा कि लोल नामक किसान विलाप कर रहा है। पूछने पर मालूम हुआ कि इसने खेत के लोभ से अपने बड़े लड़के को डंडो से इतना मारा कि वह मर गया । इसलिये इसे देश निर्वासन का दंड किया गया है। अतः यह बिलख रहा है ।
आगे बढ़ते ही देखा कि सागर दत्त ने जुये में समुद्रदत्त का बहुत सा धन जीत लिया, परन्तु समुद्रदत्त उस धन को देने में असमर्थ था। अतः उसने क्रोध से बहुत देर तक समुद्रदत्त को दुर्गन्धित धुँए के बीच में बिठा रखा ।
पुनः किसी जगह मैंने देखा कि आनन्द महाराज द्वारा अभय घोषणा कराये जाने पर भी उन्हीं के पुत्र अंगद ने राजा के मेंढे को मार कर खा लिया है, इस लिये उसके हाथ काट कर मैले का भक्षण कराया जा रहा है ।
पुनः आगे देखता हूँ शराब पीने वाली एक महिला ने शराब खरीदने के लिये एक बालक को मारकर जमीन में गाड़ दिया और उसके जेवर निकाल लिये । पकड़े जाने पर राजकर्मचारी उसे दण्ड दे रहे हैं ।
हिंसा आदि पापों से होने वाले इन फलों को मैंने प्रत्यक्ष देखा । अतः मैंने यह निश्चित कर लिया कि यह पाप इस भव में तो दुःख
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