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के खाने, बनाने में मात्र जिव्हा की लोलुपता के कारण ।
सुभौम चक्रवर्ती ने मधुर फल खाने के लोभ में णमोकार मन्त्र का अपमान कर डाला, तथा सातवें नरक जाना पड़ा। जिव्हा इन्द्रिय के वशीभूत राजा बक को जो कि बालकों के माँस के खाने के लोभ के कारण, इस लोक में भी अपयश तथा परलोक में नरक जाना पड़ा । इस रसना इन्द्रिय के कारण ही मछलियाँ भी अपनी जान गँवा देती
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हैं । यदि हम भी अपनी रसना इन्द्रिय वश में नहीं रखेंगे तो कभी शान्ति प्राप्त नहीं हो सकती । स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों के समान अश्लील असत्य भाषण से भी बचें। हम किसी की निन्दा न करें, मजाक न उड़ायें, कभी कठोर व अप्रिय वचन न बोलें । शेर ने मरते-मरते यही कहा था कि मैं आपकी कुल्हाड़ी की चोट सहन कर सकता हूँ, पर कटु वाणी आपकी पत्नी ने जो मुझे गधा कहा था, सहन नहीं कर सका ।
घ्राणेन्द्रिय के अनावश्यक विषय हैं- इत्र, क्रीम, पाउडर आदि । यदि हम वास्तव में संयमी बनाना चाहते हैं तो न करें सुगन्ध व दुर्गन्ध में राग-द्वेष, तभी बन सकेंगे नासिका - इन्द्रिय-संयमी । पुष्पों की सुगन्ध लेने के लिये बागों में घूमने में कई घंटे बिता देते हैं । इसी इन्द्रिय के वशीभूत होकर ही भौंरा कमल में बन्द हो जाता है और अपने प्राण गँवा बैठता हैं ।
चक्षु इन्द्रिय के आवश्यक विषय है-चक्षु इन्द्रिय की पूर्ति के लिये दिन में तीन-तीन शो पिक्चर देखने को चाहिये, जो कारण बनते हैं हमें पतन की ओर ले जाने में । चोरी करना, जेब काटना, फैशन करना, अश्लील शब्द बोलना आदि सीखने में सिनेमा ही कारण हैं । देखने को सुन्दर रूप चाहिये, रूप देखकर मोहित हो जाते हैं,
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