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आवश्यक विषय हैं - सर्दी, गर्मी बचान के लिये वस्त्र पहनना, क्षुधा शमनार्थ शुद्ध भाजन करना, सम्पर्क में आये व्यक्तियों से मधुर सम्भाषण करना, देव-शास्त्र-गुरु के दर्शन करना, स्वाध्याय करना, शिक्षाप्रद बातं सुनना, धर्म चर्चा करना और भी आवश्यक कार्य जिन्हें हम अपनी कमजोरी के कारण नहीं छोड़ सकते पर अनावश्यक विषयों को तो छोड़ ही देना चाहिये ।
स्पर्शन इन्द्रिय के अनावश्यक विषय हैं -
हमें सोने के लिये डनलप के गद्दे चाहिये, पहनने के लिए सिल्क, नायलोन आदि के कीमती वस्त्र चाहिये, अनेकों प्रकार के जेवर, आभूषण, ऐशो-आराम दायक पदार्थ, इत्र, तेल, क्रीम, पाऊडर आदि जिनके कारण हम क्षण भर भी सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं | कपड़ों से पेटियाँ भरी पड़ी हैं, पर जब बाजार में कोई नई डिजाईन का कपड़ा आता है, तो हम लने पहुँच जाते हैं, पैसे नहीं हों, तो उधार ही सही। पचास साड़ियाँ होन के बाद भी अगर किसी सहेली की नई साड़ी देख ली, ता करन लगती हैं जिद पति देव से साड़ी लेने के लिए | पतिदेव भी देंगे क्यों नहीं? नाराज हो जाने पर घर का सारा कार्य ही बिगड़ जायेगा। इसीलिये दिन रात लगे हैं पैसा कमान में | न तो घर क लिये समय है, न ही धर्म के लिय | स्पर्शन इन्द्रिय क कारण ही हाथी बन्धन में पड़कर अपनी स्वतंत्रता खो देता
रसना इन्द्रिय के अनावश्यक विषय हैं -
स्वादिष्ट, मिष्ठान, चाट, नमकीन, पदार्थों मे आसक्ति का होना एक दिन रविवार को नमक का त्याग कर दिया तो हलुवा के बिना काम नहीं चलेगा। हम कितना पैसा बरबाद करते हैं स्वादिष्ट पदार्थों
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