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चन कहाँ रखू? उसने व चने खेत में बो दिये और चिन्तामुक्त हो गया | उस वर्ष बरसात इतनी अच्छी हुई कि एक मुट्ठी चन से पैदा हुई फसल से कई बोरे भर गये | जब अवधि पूर्ण हुई, तो पिता ने कहा, बेटे! वे चन लेकर आओ, जो मैंन तुम्हें दिय थे | तो बड़ा बेटा कहता है, हे तात्! आपके दिये हुये चनों को मैंने रोज अगरबत्ती लगाई है, मैंने उन्हें सोने की डिब्बी में रखा है। बड़ा बेटा जब डिब्बी खोलकर दिखाता है, तो उसमें छिलके मात्र नजर आते हैं, क्योंकि चने तो घुन चुके थे।
पिता ने अपने छोटे बेटे को बुलाया और कहा, बेटे! चने कहाँ हैं? छोट बेटे ने कहा, पिताश्री! मैंने तो उन चनों को खत में बो दिया था, जिससे अनेकों बोर चने हुये | मुझमें इतनी ताकत नहीं है कि मैं उन सब बोरों को यहाँ ले कर आ सकूँ | यदि आपको देखना है तो मेरे गादाम तक चलना पडेगा। पिताजी प्रसन्न हो गये और मन-ही-मन निर्णय कर लिया, कि सारी सम्पत्ति का वारिस किसे बनाना चाहिये? मोक्षमार्ग विषय-कषायों में व्यर्थ समय बरबाद करने वाला या अगरबत्ती लगाने वाला धर्म नहीं है । अतः यदि अपनी मनुष्य पर्याय को सार्थक करना चाहते हो तो धर्म के इन उत्तम क्षमादि दशलक्षणों को अच्छे प्रकार से समझकर अपने जीवन में धारण करो। मूलतः धर्म तो एक ही है, केवल समझाने के लिये उसे दश अंगों में विभाजित किया गया है | यहाँ धर्म के प्रत्येक अंग का वर्णन किया जा रहा है।
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