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गया । घुड़साल के बाहर सईस सो रहे थे। चार को घुड़साल में घुसते देखकर पूछा कि तू कौन है? ___ चोर ने उत्तर दिया कि मैं चोर हूँ | सईसों ने समझा यह मजाक में कह रहा है, घुड़साल का ही कोई नौकर होगा, इसलिये चोर को किसी ने नहीं रोका | चोर ने घुड़साल में जाकर राजा की सवारी का सफेद घोड़ा खोल लिया और उस पर सवार होकर चल दिया। ___बाहर सोते हुये सईसों ने फिर पूछा कि घोड़ा कहाँ लिये जा रहा है
चोर ने सत्य बोलन का नियम ले रखा था इसलिये बोला मैं घोड़ा चुराकर ले जा रहा हूँ | सईसों ने इस बात को भी मजाक समझा। यह विचार किया कि दिन में घोड़े को पानी पिलाना भूल गया होगा, सा अब पानी पिलाने के लिये घोड़ा ले जा रहा है। ऐसा विचार कर उन्होंने उसे चला जाने दिया।
चोर घोड़े को लेकर एक बड़े जंगल में पहुँचा और घोड़े को एक पेड़ से बाँधकर स्वयं एक पेड़ के नीचे सो गया। जब सुबह हुई तब घुड़साल के नौकरों ने देखा कि घुड़साल में मुख्य सफेद घोड़ा नहीं है। नौकर बहुत घबराये | उनको रात की बात याद आ गई और व कहने लग सचमुच रात वाला आदमी चोर ही था और वह यहाँ से घोड़ा चुराकर ले गया ।
अंत में यह बात राजा के कानों तक पहुँची। राजा न घाड़े को खोजने के लिये चारों ओर सवार दौड़ाये | कुछ सवार उस जंगल में जा पहुँचे । उन्होंने चोर को सोता देखकर उठाया और पूछा कि तू कौन है?
सत्यवादी चोर ने उत्तर दिया कि मै चोर हूँ | राजा के नौकरों
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