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चित्र सच्चा बनाते हैं तो सुन्दर नहीं बनेगा, क्योंकि एक आँख नहीं बनेगी। एक चित्रकार ने कहा- इससे कोई मतलब नहीं, जो सच है वही बनायेंगे अपन तो । उसने राजा साहब की एक आँख नहीं बनायी, बाकी तो सब सुन्दर था। राजा साहब को वह चित्र पसन्द नहीं आया ।
दूसरे कलाकार ने सोचा अरे वाह! सुन्दर बनाना चाहिये, सच से क्या मतलब | उसने राजा की दोनों आँखे एकदम दुरुस्त, एकदम बढ़िया बना दीं । उसे देखकर राजा ने कहा ये चित्र सुन्दर तो है, पर झूठा है ।
ये प्रिय मालूम पड़ता है, लेकिन झूठा है। पहलेवाला अप्रिय मालूम पड़ रहा था, वह सच्चा था। दोनों ही रिजेक्ट (अस्वीकृत) हो गये । सच, जो अप्रिय है, वह भी ठीक नहीं है और झूठ, जो कि प्रिय है, वह भी ठीक नहीं है ।
तीसरे कलाकार ने चित्र बनाया। राजा साहब बहुत शूरवीर हैं, बलवान हैं और तीरंदाज हैं । वे हाथ में धनुष बाण लिये हैं और निशाना साध रहे हैं । निशाना साधने पर एक आँख बंद रहती है, चित्र में इस प्रकार एक आँख बंद दिखाई गई । वह चित्र पास हो गया। क्योंकि वह सत्य भी है, प्रिय भी है। अतः हम हमेशा वही बोलें, जो सत्य हो व प्रिय हो ।
सभी को सदा हितमित बचन बोलना चाहिये, जिससे दूसरों को दुःख हो, ऐसे वचन कभी नहीं बोलना चाहिये, पूजा में पढ़ते हैं
कठिन वचन मत बोल पर निन्दा अरु झूठ तज । साँच जवाहर खोल, सतवादी जग में सुखी ।।
कभी भी कठोर वचन नहीं बोलना चाहिये। सबसे ज्यादा यदि
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