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कहानी का शेर तो बात भी करता है) किसान ने कहा-मुझे मरी बिटिया की शादी की चिन्ता है। मेरे पास पैस नहीं हैं, क्या करूँ? शेर ने कहा आओ मरे साथ। वह उस किसान को अपनी गुफा में ले गया | वहाँ सोने के बहुत सारे गहने पड़े थे। शेर ने कहा तुम्हें जितने चाहिय उतने ले जाओ इनमें से |
किसान बहुत खुश हुआ | वहाँ से जेवर लाकर उसने बिटिया की शादी बड़े ठाट-बाट से करने का प्लान (याजना) बनाया। उसने शादी में शेर को भी बुलाया, कहा-भाई तुम तो मेर हितैषी हो, तुम जरूर आना शादी में | शादी के दिन शाम को ही पहुँच गया शेर भी, और एक तरफ खडा हो गया। लोगों ने शेर दखा तो भयभीत होने लगे | किसान तो व्यस्त था शादी के कामों में | किसान की जीवन संगनी (पत्नी) लोगों से बोली (अरे) इससे क्या डरना? ये शेर थोड़े ही है, ये तो गधा है -गधा, खड़े रहने दो | शेर ने सुन ली यह बात | वह शादी अटेण्ड किये बिना ही वापस चला गया ।
दो तीन दिन बाद किसान जंगल में पहुँचा | उसने शेर से कहा तुम शादी में आये फिर भी बिना कुछ देखे, बिना आशीर्वाद दिय ही वापस चले आय?
शेर न कहा-सुनो! तुम ये लकड़ी काटने के लिए जो कुल्हाड़ी लाये हो उस मेरे सिर पर जोर से मारो।
किसान ने कहा-क्या कह रहे हो ये? हम तुम्हारे मित्र हैं। हम तुम्हारे सिर पर कुल्हाड़ी मारें? इतने कृतघ्न ता हम नहीं हैं।
शेर ने कहा मारते हो कि नहीं मारते? वरना आज मैं तुम्हें समाप्त कर दूंगा। अब तो किसान बहुत घबराया। उसने बड़े बेमन से, बहुत
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