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यदि दूसरे का अहित करने वाला सत्य बोला जाये, तो वह सत्य भी असत्य ही है। इस मनुष्य पर्याय में ही वचन बोलने की शक्ति प्राप्त है, यदि किसी ने मनुष्य जन्म पाकर वचन ही बिगाड़ दिया, तो समझो उसने अपना जन्म ही बिगाड़ दिया। यहाँ का लेना देना, कहना सुनना, बैर-प्रीति इत्यादि सभी कार्य वचन से ही चलते हैं | अतः हमें कभी भी अपनी वाणी में कटु शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिये।
वचन बहुत प्रभावी होते हैं | वचन का घाव सबसे ज्यादा तकलीफ पहुँचाने वाला होता है। आप किसी से मारपीट कर दीजिए, वह दो-चार-दस दिन के बाद भल जायेगा। अगर बहत चोट लग गई होगी तो वह चोट भी दो-चार-आठ दिन में ठीक हो जायगी। लेकिन आपन किसी क लिये कोई मर्म भदी वचन कह दिया तो वह जीवन भर उसके मन में सालता रहेगा | बहुत जरूरी है वचन को सम्हाल करके बोलना। श्री क्षमासागर जी महाराज ने एक कथा सुनाई थी।
एक किसान था। किसी मजबूरी स उसे जंगल में लकड़ी काटने जाना पड़ा। खेतों में दाना नहीं उगा, इसलिये लकड़ी काटना पड़ी। जंगल में एक शेर से सामना हो गया। शेर को देखकर वह किसान भागन को हुआ, लेकिन शेर की कराह सुनकर वह रुक गया । शर के पैर में काँटा चुभ गया था, इसलिए वह दर्द से कराह रहा था और इसीलिए उसने किसान पर आक्रमण नहीं किया, बल्कि बड़ी कातर दृष्टि से किसान की ओर देख रहा था । किसान का भय मिट गया। किसान शेर के पास गया, शेर ने अपना पंजा ऊपर उठा दिया । किसान ने उसक पैर से काँटा निकाल दिया। शेर ने उसका बड़ा उपकार माना और कहा मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूँ? (हाँ
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