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मायाचार से युक्त पुरुष प्रायः ऊपर से हितमित वचन बोलता है और सौम्य आकृति बनाता है, अपने आचरण से लोगों में विश्वास उत्पन्न करता है, किन्तु मौका पाते ही उन्हें धोखा दे देता है। मायावी पुरुष का स्वभाव बगुले के समान होता है। अर्थात् जैसा बगुला पानी में एक पैर से खड़ा रहता है और मछली उसे साधु समझकर ज्यों ही उसके पास जाती है, त्यां ही वह छद्मवेषी बगुला झट से उन मछलियों को खा जाता है। बिल्ली चुपचाप दबे पाँव मौन धारण किये हुये बैठी रहती है, परन्तु जैसे ही कोई चूहा उसके निकट पहुँचता है, वह उसे झट से खा लेती है । इस पर एक दृष्टान्त दिया जाता है -
एक बार एक बिल्ली किसी के घर में घुसकर दूध की हाँडी में मुँह डालकर दूध पी रही थी कि इतने में मालिक आ पहुँचा | उसके डर से बिल्ली अपना मुँह शीघ्रता से निकालने लगी कि हाँडी का घेरा टूटकर गले में एक अद्भुत हार बन गया। गले में हाँडी का घेरा टंगा रहने के कारण वह बिल्ली अधिक दौड़-कूद नहीं कर सकती थी और इसी कारण वह किसी चूहे को न पकड़ सकने के कारण भूखी मरने लगी। अन्त में उसने एक ऐसा षडयन्त्र रचना प्रारम्भ किया कि वह चूहों के एक बिल के सामने जाकर बैठ गई। बिल्ली को देखकर चूहे डर गये और बिल में न जाकर वापिस लौटने लगे | तब बिल्ली उन चूहों से बोली-तुम लोग मुझस डरो मत | मैं अभी हाल में बनारस तीर्थयात्रा करने के लिये गई थी। वहाँ पर जाकर मैंने हिंसा ना करने का व्रत ले लिया है | यदि विश्वास न हो, ता देखो हमारे गले में यह माला लटक रही है।
उस बिल्ली की बातों में आकर सभी चूह निर्भय होकर बिल में प्रवेश करने लगे। पहले तो उसने दस-पाँच चूहों को छोड़ दिया,
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