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__ मित्र, स्त्री, पुत्र, परिवार के बिछुड़ते दर नहीं लगती। अच्छे स्वस्थ बलवान मनुष्य जरासी दुर्घटना से मृत्यु के मुख में चल जाते हैं। इस प्रकार इस संसार में सभी पदार्थ क्षणभंगुर हैं, क्षणस्थायी हैं। फिर मनुष्य का गर्व करना वृथा है।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर मनुष्य को अपने जीवन में झटपट अच्छे कार्य कर डालने चाहिय, क्योंकि जीवन प्रत्येक क्षण में ऐसा बीतता जाता है, जिस तरह फूटे हुए घड़े में से एक-एक बूंद पानी टपक-टपक कर कम होता जाता है | आलस्य में एक सैकण्ड भी न खोना चाहिए।
मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा काम आत्मा की शुद्धि करना है | आत्मा पापाचरण द्वारा मलिन होती है और धर्माचरण द्वारा स्वच्छ होती है। इस कारण जिस तरह बाहरी शान के लिये स्वच्छ वस्त्र पहनत हो, उसी तरह भीतरी शान क लिये धर्माचरण से आत्मा को स्वच्छ बनाते रहो | और मान कषाय को छोड़कर अपने हृदय में सदा विनय को धारण करो।
आज सारी दुनिया अहंकार में डूब रही है | कोई धन का अहंकार कर रहा है तो कोई जाति का अहंकार कर रहा है, काई ज्ञान का अहंकार कर रहा है। अहंकार के अन्दर सभी डूबते चले जा रहे हैं। पर ध्यान रखना अहंकार एक-न-एक दिन टूट जाता है, समाप्त हो जाता है। इससे मुक्त हाना ही यथार्थ में मार्दवधर्म की प्राप्ति करना है। ____ अहंकार करने से सदा पतन ही होता है | मार्दवधर्म कवल उसी के अन्दर आ सकता है, जो विनयवान् होता है। हमारा यह अहंकार ही अन्तर्दृष्टि की प्राप्ति में बाधक बनता है। यह अहंकार ही हमारे
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