________________
रहती थी । उसके घर के सभी लोग सुअर का माँस खाते थे, लेकिन वह बच्ची मना करती थी कि मैं नहीं खाऊँगी । उन लोगों ने पूछा- तू क्यों नहीं खायेगी? वह बोली- मैं ब्राह्मण हूँ, तू ब्राह्मण है ? कौन है तेरे माँ बाप? तो वह पूरा वर्णन करती थी । जातिस्मरण से वह जान रही थी कि मैं ब्राह्मण हूँ ।
यहाँ यह बात विचारणीय है कि उसका वहाँ जन्म कैसे हुआ ? निश्चित है कि पूर्व जन्म में उसने अपने कुल का अभिमान किया होगा और किसी के साथ दुर्व्यवहार किया होगा, जिसके कारण आज उसे यहाँ जन्म लेना पड़ा। छोटों के साथ दुर्व्यवहार करनेवाला स्वयं छोटा बन जाता है। फिर किसी के साथ हम दुर्व्यवहार क्यों करें? धर्म तो कहता है कि अपराध से घृणा करो, अपराधी से नहीं । अपराधी तो अपराध को छोड़कर निरपराध हो सकता है । और यही कार्य अपने को करना है । हम इस कुल व जाति के अहंकार को छोड़कर अपने आचरण एवं विचारों को पवित्र बनाने का प्रयास करें ।
रूप का अहंकार भी बड़ा गहरा अंहकार है। व्यक्ति थोड़ा-सा रूप क्या पा लेता है, अहंकार करने लगता है कि मेरे जैसा रूप किसी का भी नहीं है । जब मैं सड़क पर निकलता हूँ तो सभी लोग मुझे देखने लगते हैं । आचार्य कहते हैं- किस रूप का अहंकार कर रहे हो ?
आज जिस रूप पर तुम इतना इतरा रहे हो तो 25 साल आगे के रूप को देखोगे तो तुम्हारे चेहरे पर 1760 झुर्रियाँ दिखाई पड़ेंगीं और थोड़ा आगे जाकर देखोगे तो तुम्हारे इस सुंदर सलोने शरीर को एक अच्छी चिता पर सुलाया जायेगा, जिसे तुम्हारे ही घरवाले अग्नि देंगे। जो-जो व्यक्ति अपने चैतन्य स्वरूप को भूले हैं और
139