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एक प्रतिशत भी हमारे भीतर आ सकता है? जब वह वापिस घर लौटा, तब उसके विचार बदलने लगे-मैंने इस व्यक्ति को कितनी बातें कहीं, पर उसने कुछ भी जवाब नहीं दिया। फिर उसे लगा कि मुझ एसा नहीं करना चाहिय था। मैंने ठीक नहीं किया। घर पहुँचते-पहुँचते ता बेचैन हो गया वह ।
अभी गालियाँ दे रहा था, अब बेचैन हो रहा है | गाली क्यों दी? अब इस बात की बेचैनी थी। और वह व्यक्ति रात भर सो नहीं पाया। सुबह चार बजे उठकर दौड़ पड़ा वह | अभी पहुँचना है उस बाबा के पास । वह इतना शान्त रहा, मैं क्षमा माँगूंगा उससे । वह महात्मा जी से क्षमा माँगने लगा। महात्मा जी ने उस गले लगा लिया और कहा-क्षमा माँगने की आवश्यकता नहीं है। तुम वह नहीं हो जिसने गाली दी थी। वह गाली देने वाला दूसरा था। उस समय तुम्हार ऊपर क्रोध का भूत सवार था। तुम क्षमा माँगनेवाल दूसरे हो ।
यदि हम क्षमाधर्म का धारण करें तो इस तरह का क्षमाभाव, इतनी निर्मलता हमारे भीतर भी आ सकती है। यदि हम गुस्सा कर रह हैं तो यह मेरी कमजोरी है। क्योंकि कोई हमस गुस्सा करवा नहीं सकता, वह केवल निमित्त मात्र बन सकता है। ये हमारे ऊपर है, मैं चाहूँ ता गुस्सा करूँ ओर न चाहूँ तो गुस्सा न करूँ | __क्रोध करना हमारी मजबूरी नहीं, कमजोरी है। यदि सामनेवाला हमें गाली द और हम उससे हाथ जोड़कर कहें कि, भईया जी! क्षमा करना, हम आपसे गुस्सा नहीं हो पायंगे, आप अपनी गाली वापिस ले लीजिये | आपने दी तो इसलिये होगी कि हम गुस्सा करेंगे, लेकिन क्षमा करिय, हम गुस्सा नहीं हो पायेंग । आपको तकलीफ तो पहुँचेगी
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