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________________ जय महावीर ॥ जय सीमंधर ।। श्री निहाल खूब फूल शान्ति गुरूभ्यो नमः ।। महामन्त्र नवकार पामो अरिहंताणी णमो सिद्धाणं णमो आयरियाण णमो उवज्झायाणं / णमो लोए सबसाहूणं एसोपंच णमोक्कारो, सव्व पावप्पणासणो। मंगलाणं च सव्वेसिं, पढमं हवइ मंगल।। ग्रंथ में वर्णित विषय-वस्तु पंचपरमेष्टी, देव-गुरु-धर्म, मिथ्यात्व-सम्यक्त्व, द्रव्य-गुण पर्याय और उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य, त्रिपदी, छः द्रव्य, छहों दर्शनों का तुलनात्मक विश्लेषण, जीव-अजीव का भेद विज्ञान, नवतत्वसार, कर्म सिद्धान्त, सप्त कुव्यसन और पाप-पुण्य से कर्म बंध, कर्म का कर्ता-भोक्ता-विकर्ता आत्मा है, आत्मा का स्वभाव-विभाव, निमित्त-उपादान, ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूप मोक्ष मार्ग और मुक्ति का उपाय, कर्मवाद-अकर्मवाद, पाँचवे आरे में मोक्ष कैसे-कितना? लिंग-वेष मोक्ष की साधना में मूल्यहीन।
SR No.009401
Book TitleJainattva Kya Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaymuni
PublisherKalpvruksha
Publication Year2012
Total Pages84
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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