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अधर्मास्तिकाय की सहायता से रुकेगा। (3) आकास्तिकाय = सभी द्रव्यों, स्वयं को भी स्थान देता है, ठहरने, अवकाश देने, अवगाहन करने हेतु सहायता देता है। (4) काल = जीव और पुद्गल जब अपने गुण में पर्यायान्तर करता है, पर्याय (अवस्था) बदलती है, उसे दिग्दर्शित करने वाला, बताने वाला काल द्रव्य है। पुस्तक का पन्ना सफेद-मजबूत था। कुछ समय बाद पीला पड़ने लगता है, हाथ लगाओ तो टूटने लगता है। काल बताता है यह इतना पुराना हो गया है। इतने घंटे, मिनट निकल गए, गणना काल के सहारे होती है। (5) पुद्गलास्तिकाय = ऊपर जितनी वस्तुएं आई, वे पुद्गल हैं। जिसमें निरन्तर पूरण-गलन हो, जिसमें निरन्तर सड़न-गलन हो, उत्पाद-व्यय हो, मिलना-बिछुड़ना हो उसे पुद्गल कहा। जिसमें वर्ण = रंग-गंध-रस-स्पर्श नाम के गुण हों उसे पुद्गल कहा। इसका पर्यायवाची शब्द नहीं है। फिर भी पदार्थ, वस्तु, मेटर, मटीरियल कहकर समझ सकते हैं। (6) जीवास्तिकाय = जिसमें जीवत्व हो, प्राण हो, श्वास-उच्छवास लेता हो, जिसमें चेतना हो, जिसमें उपयोग हो, जिसमें जानने-देखने-अनुभव करने के गुण हों।
ये छहों द्रव्य मिलकर ही लोक (सृष्टि, संसार) कहलाता है। प्रत्येक द्रव्य को सदा शाश्वत कहा। शाश्वत, ध्रुव, नित्य, त्रैकालिक कहा। अनादि से है, अनन्त काल तक रहेगा। अतः लोक भी, इन्हीं का मिला रूप है तो त्रैकालिक, शाश्वत कहा। पूर्व में दृष्टांत दिया, द्रव्य है तो उसमें गुण हैं, द्रव्य की अवस्था बदलती है तो पर्याय कहलाती है। द्रव्य तो, गुण तो ध्रुव हैं पर गुणों में जो परिवर्तन आया, वह पर्याय भी द्रव्य का है। छहों द्रव्य ध्रुव हैं पर गुणों में अन्तर पड़ा, थोड़ा शास्त्रीय शब्द लें-गुणों में निरन्तर नया-नया परिणमन हो रहा है। अतः द्रव्य को महावीर 'परिणामी नित्य' कहते हैं। नित्य भी, परिणमनशील भी।
द्रव्य परिणामी-नित्य है : त्रिपदी उत्पाद-व्यय-ध्रुवता-पहले पुद्गल द्रव्य से समझें। उसमें वर्ण, गंध, रस, स्पर्श नाम के गुण हैं। पकने योग्य कच्ची केरी लाएं। वर्ण हरा है, गंध कुछ खट्टी जैसी है, रस खट्टा है। स्पर्श कड़ा है। प्रक्रिया की, पकाया। वर्ण हरा था-बदलकर पीला हो गया, गंध सुगंध में बदली, खट्टे के स्थान पर मीठा स्वाद हो गया। स्पर्श कड़े से मुलायम हुआ। गुण सभी हैं, गुणों का समूह द्रव्य केरी भी है। (कहेंगे-आम, पका आम) गुणों में प्रतिपल बदलता ही रहा है। प्रति समय नई-नई पर्याय बन रही-प्रकट हो रही है। इसे जैन दर्शन में त्रिपदी कहा। हरी पर्याय से पीली पर्याय हो
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