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________________ गौरक्षा पर राजीव भाई द्वारा हस्तलिखित दो शब्द 18, 19, 20 दिसम्बर, 2000 को राजस्थान प्रदेश के सांचोर जिले के पथमेड़ा . गांव में एक गौरक्षा सम्मेलन हुआ, जिसमें लगभग 50 हजार स्त्री, पुरुष और बच्चें शामिल हुये। ये सभी लोग गौरक्षा विषय पर अपनी चिन्ताओं को लेकर आये थे, और उनके समाधान के लिये कुछ रास्ता निकालना चाहते थे। गत 3 वर्षों से लगातार राजस्थान - गुजरात आदि प्रदेशों में वर्षा अच्छी नहीं हुयी हैं, और अकाल की स्थिति बन गयी है। इसी कारण से घास चारा नहीं मिल पा रहा है। किसानों के सामने एक संकट खड़ा हुआ है, जिसके कारण किसान अपनी गायों को या तो बेच रहें हैं, या फिर गौशालाओं - पांजरापोल में छोड़ रहे हैं। अब जो गाय गौशाला या पांजरापोल में आ रही हैं, उनकी चारे - पानी की व्यवस्था करनी है, जिसके लिये प्रतिवर्ष लगभग 29 करोड़ रुपये का खर्च आता है। यह खर्च पूरा का पूरा गौभक्त लोगों के दान से हीं आता है । पथमेड़ा गांव की जो गौशालायें हैं, उनमें लगभग 1.25 लाख गायें हैं। इस सम्मेलन में आने वाले स्त्री-पुरुष सभी के लिये गौरक्षा का विषय कितने महत्व का है, यह इसी बात से पता चलता है कि तीन साल से भयंकर सूखे और अकाल का सामना करने वाले किसान-मजदूर आदि साधारण लोगों ने ही गायों की आज संभाल के खर्चे मे 5 करोड़ रुपये से भी अधिक का योगदान किया। सम्मेलन में आने वाले लोगों की मान्यता में गाय का क्या स्थान है, उसको • समझने के लिये एक घटना महत्व की है। हुआ यह कि इसी सम्मेलन में एक महिला जो कि राजस्थानी घूंघट प्रथा कर पालन करती हुयी मंच पर खड़े होकर बोली कि “कुछ दिन पूर्व मेरी गाय बीमार हुयी और मरने की स्थिति में पहुंच गयी। जब किसी भी दवा से ठीक नहीं हुयी तो मैंने मान लिया कि अब उस गाय की मृत्यू निश्चित है। फिर मैंने उस गाय को भगवत्गीता का पाठ सुनाना शुरु किया। जब पाठ पूरा हुआ, उसके बाद रामचरित मानस का सुन्दरकांड सुनाया । सुन्दरकांड सुनने के बार ही उस गाय की मृत्यू हुयी ” । उस महिला ने अपने ससुर की मृत्यू के समय भी यही भगवतगीता और रामचरितमानस के पाठ पढ़ने की क्रिया दोहराई थी । यानि उस महिला के लिये अपने ससुर की मृत्यू और अपनी गाय की मृत्यू में कोई अन्तर नहीं था। इसी तरह की अन्य सैकड़ो घटनायें साधारण भारतीय लोगों के जीवन में घटित होती रहती हैं। जिससे यह पता चलता है कि सामान्य लोगों के मन में गाय का स्थान क्या है ? यही स्थिति अन्य पशुओं के बारे में भी है, कुछ थोड़ा बहुत अन्तर के साथ | गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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