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________________ साधारण भारतीय लोगों के मन में यह मान्यता कहाँ से आयी है? प्रकृति में मिलने वाले पशुओं के प्रति इतनी सम्मान की भावना कैसे बनी है ? इसका उत्तर खोजें तो मिलेगा, भारतीय संस्कृति की उस मान्यता में जिसमें पुर्नजन्म की बात कही गयी है। यह भारतीय मान्यता ही है, जो पुर्नजन्म में विश्वास रखती है। कहा जाता है कि 84 लाख योनियां होती है। मनुष्य जब मरता है तो इन्हीं में से किसी योनि में. जन्म पाता है, अपने कर्मफल के सिद्धान्त के अनुसार। इन्हीं 84 लाख योनियों में गाय, बैल, बकरी, कुत्ता, भैंस आदि-आदि तमाम जीव हैं। माना यह जाता है कि ये सभी जीव बराबर हैं। कोई ऊंचा या नीचा नहीं है। सभी जीवों में आत्मा होती है और आत्मा सभी की समान होती है। भारतीय मान्यता में सभी जीवों को जीने का अधिकार है। मनुष्य को जीवों के समकक्ष ही माना गया है। यदि कोई मनुष्य मरता है तो हो सकता है कि कर्मफल के सिद्धान्त के अनुसार उसे गाय की-योनि में जन्म मिले या किसी अन्य योनि में। अर्थात आज जो आत्मा मनुष्य में है। वही आत्मा गाय में प्रवेश कर जायेगी। चूंकि आत्मा की बराबरी है। अत: गाय और मनुष्य दोनों ही सहोदर हैं, बराबर हैं। ऊंचे या नीचे नहीं है। जीव-जन्तु और मनुष्यों से मिलकर ही पूरी प्रकृति बनी है। इसलिये दोनों एक दूसरे पर निर्भर हैं और एक दूसरे के सहयोगी है। इसलिये प्रकृति के संसाधनों पर भी दोनों का ही अधिकार है। इन्हीं मान्यताओं के कारण जीव-जन्तुओं के प्रति दया, प्रेम, करुणा की भावना साधारण भारतीय लोगों के मन में है। यदि पशु . भूख से मरते हों तो उनकी चिन्ता समाज के लोगों को होती है और उसके लिये व्यवस्था करना, उन्हें अपना धर्म लगता है और उसके लिये भारतीय समाज में व्यवस्थायें की जाती हैं। जैसे हमारी भारतीय कृषि पद्धति में जो भी अनाज पैदा किये जाते हैं, उनमें मनुष्य, पशुओं तथा अन्य जीव जन्तुओं की खाने की जरुरतों को पूरा . करने का ध्यान रखकर ही फसलें बोयी जाती हैं। लगभग सभी भारतीय फसलों से अनाज जितना निकलता है, तकरीबन उतना ही चारा भी निकलता है। इसी तरह की फसलें बोने की परम्परा हमारे देश में रही है, जिनसे मनुष्यों के साथ पशुओं की जीवन-यापन भी होता रहे। इसलिये भारतीय समाज में पशु-पालन की एक लम्बी परम्परा है, जो कृषि कर्म के साथ-साथ हजारों वर्षों से चली आयी है। आज के भारतीय समाज में कई तरह की गिरावट आने के बावजूद यह परम्परा कायम है। हालांकि यह गिरावट पिछले. कई सौ वर्षों से लगातार आती जा रही है। अंग्रेजों के भारत में आने के बाद से यह गिरावट बहुत अधिक आयी है और बहुत तेजी से आयी है। अंग्रेजों के भारत आने के पहले तक भारतीय समाज में अच्छी खेती और पशुपालन की व्यवस्था थी। सिर्फ खेती और पशुपालन ही नहीं बल्कि अन्य व्यवस्थायें जैसे उद्योग, शिक्षा, स्वास्थय, न्यायतंत्र, प्रशासन तंत्र आदि भी ठीक-ठाक चलते ही थे। अंग्रेजों ने आकर इन सभी व्यवस्थाओं को जड़-मूल से उखाड़ने की कोशिश की और उसमें वे काफी हद तक सफल भी रहे। - राजीव दीक्षित गौमाता पंचगव्य चिकित्सा : .
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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