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________________ । गौरक्षा और उसका महत्त्व - राजीव दीक्षित धार्मिक सज्जनों आज आपसे एक विशेष प्रश्न पर बात करने आया हूँ। सामान्य रुप से स्वदेशी पर काफी व्याख्यान करता हूँ लेकिन आज आपके बीच में एक नये विषय, गौरक्षा के प्रश्न पर, व्याख्यान करने के लिये आया हूँ। गौरक्षा का प्रश्न कितना महत्त्वपूर्ण है और गौरक्षा जरुरी क्यूँ है। इन दो बातों पर मेरे व्याख्यान में काफी कुछ कहने की कोशिश करूँगा और गौरक्षा के संबंध में हम सब लोग अपने-अपने जीवन में क्या कर सकते हैं। ये तीसरी बात, व्याख्यान में कहने की कोशिश करूँगा। - आप सब जानते हैं कि हमारा देश अंग्रेजों का एक लम्बे समय तक गुलाम रहा। सैकड़ों वर्षों तक अंग्रेजों ने इस देश को गुलाम बनाने के लिये काफी तैयारियाँ की थी। पिछले कुछ वर्षों से भारत देश की गुलामी और अंग्रेजों ने भारत में क्या किया, इसके बारे में हमारे कुछ साथियों ने पचास हजार से ज्यादा कुछ दस्तावेज एकड़े किये हैं। ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन की लाइबरेरी में से यह दस्तावेज मिले हैं। उन दस्तावेजों के आधार पर आज का व्याख्यान होगा-गौरक्षा का प्रश्न क्यूँ जरुरी है। 1813 के साल में अंग्रेजों की संसद “हाऊस ऑफ कॉमन' में एक बहस चली! उसका शीर्षक क्या था। किस मुद्दे पर वो बहस चली। उस बहस का मुद्दा था- 'हाउ टू क्रिश्चनाइस इंडिया' भारत को ईसाई कैसे बनाया जाए। इस मुद्दे पर ब्रिटेन की संसद में 1813 के साल में एक बड़ी बहस चली। 24.जून 1873 को वो बहस पूरी हुई और 24 जून 1813 को जब वो बहस पूरी हुई तो बहस में एक प्रस्ताव पारित किया गया वो प्रस्ताव यही था। भारत को ईसाई बनाना है। उस बहस के जो दस्तावेज हैं उनको देखने से पता चलता है कि अंग्रेज और ईस्ट इंडिया कंपनी जो भारत में आये थे वो सिर्फ व्यापार करने के लिये नहीं आये थे। ईस्ट इंडिया कंपनी और अंग्रेजों को भारत में सिर्फ व्यापार करने में रुची नहीं थी वो भारत को ईसाई बनाने का एक बड़ा काम करने के लिये ही आये थे। : गौमाता पंचगव्य चिकित्सा
SR No.009393
Book TitleGaumata Panchgavya Chikitsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajiv Dikshit
PublisherSwadeshi Prakashan
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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