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________________ ताराचन्द्र- नैनूराम ! आज कोई सुन्दर सा गीत सुनवाओ। नैनूराम - ( प्रमुख गायिका से ) केतकी ! कोई सुन्दरसा गीत गाओ जिससे खामी का मनोरंजन हो । ( गायिकाओं द्वारा गीतारम्भ ) कौन रूपवान् नेत्रवान् निर्विकारी ? प्रेम-जग का देव रूप, नेत्र हैं पुजारी ॥ अर्घ्य अनुरक्ति कली, प्रीति पुष्प - अंजली, प्राप्ति साध दीप ज्योति, चित्त स्वर्ण -झारी । प्रेम जग का देव रूप, नेत्र हैं पुजारी ॥ मुग्धता ही भक्ति गान, लीनता ही योग ध्यान, सर्व देहधारी । मग्न इस उपासना में प्रेम जग का देव रूप, नेत्र हैं पुजारी ॥ भामाशाह ताराचन्द्र - यह गीत अत्यन्त भावपूर्ण है । नैनूराम - यदि आज्ञा हो तो ऐसे ही गीत और सुनवाऊ । ताराचन्द्र —- नहीं, अब आज नहीं, कल सुनूंगा । पटाक्षेप ५५
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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