________________
भामाशाह उदयसिंह-भगवान एकलिंग की कृपा से मनोरथ सफल हो गया। इस नगर का नाम मैं ने उदयपुर रखा है और चित्तौड़ के स्थान पर इसे ही अपने राज्य की राजधानी बना रहा हूं। कल एक विशाल समारोह का आयोजन है। जिसमें अधिक से अधिक नागरिकों
और सामन्तों के उपस्थित होने की सम्भावना है। इसी समारोह में अपनी नवीन घोषणाएं प्रजा को श्रवण कराऊंगा।
__ भारमल्ल-आपका यह कार्यक्रम अत्यन्त सुन्दर है । मेरे योग्य यदि कोई सेवा कार्य हो तो आज्ञा दें। ___ उदय सिंह-अभी नहीं, इसे कल प्रभात में विदित कराऊंगा । इस समय केवल कुछ परामर्श करना है, जो सर्वश्राव्य नहीं । अतः आइये उस ओर एकान्त में चलें। भारमल्ल-चलिये।
पटाक्षेप
दृश्य १०
स्थान-उदयपुर का सभा भवन ।।
( मध्य में शून्य राज्य सिंहासन, सिंहासन के समक्ष अन्य ओर मन्द स्वर में वार्तालाप करते हुए राजपूत सामन्त )
प्रथम-कितने अल्प समय में हमारे राणा ने इतना सुन्दर नगर निर्मित करा लिया।
द्वितीय-यह कोई विस्मय का विषय नहीं, हमारे राणा भले ही रणशूर न हों पर हैं तो राजा ही।