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भामाशाह
दृश्य ७
स्थान-चित्तौड़ ( अस्त्र-शस्त्र सज्जित कुछ सामन्त ) एक-दुर्भाग्य से हमें ऐसा राणा मिला, जो मृत्यु के भय से अपनी राजधानी त्याग कर ही भाग गया। हे एकलिंग ! अब कौन चित्तौड़ की रक्षा का भार अपने शिर लेगा ?
द्वितीय-वीर-प्रसविनी मेवाड़-मेदिनी में जन्म लेने वाला प्रत्येक राजपूत इस भार को सोत्साह स्वीकार करेगा। जब सूर्य यामिनी के अंधकार के समक्ष ठहरने में असमर्थ हो अस्ताचल के अंचल में अपना मुख छिपा लेता है, तब अगणित मृत्तिका दीप अन्धकार को निगलने के लिये अपनी ज्योति-जिह्वाएं फैला देते हैं। ठीक इसी प्रकार आज राणा के भाग जाने पर यवन-दलको परास्त करने के लिये हम समस्त राजपूतों को कटिबद्ध होना है।
तृतीय-होना नहीं है, हैं। चित्तौड़ के नाम में ही ऐसी मोहिनी आकर्षण-शक्ति है कि केवल यहीं के नहीं, राजस्थान के भिन्न २ जनपदों से भी राजपूतगण शस्त्रास्त्रोंसे सज्जित हो यहां आ रहे हैं। ____चतुर्थ-अभी २ वीरवर सहीदास चंदावत वंश की विशाल सेना के साथ आकर चित्तौड़ के प्रधान सूर्य-द्वार पर डट गये हैं।
पंचम-और मदेरियापति रावत दूदा भी गंगावतों की सेना लेकर समरस्थली के समीप पहुंच चुके हैं ।