________________
भामाशाह
दृश्य ५ स्थान - रणथम्भौर में भारमल्ल का भवन
( अपने शयनागार में भामाशाह की प्रतीक्षा करती हुई मनोरमा । क्षणभर उपरान्त भामाशाह का आगमन ) ____ मनोरमा-(खड़े होकर ) आ गये नाथ १ आज कल कार्याधिक्य से आपको प्रति दिन शयन करने में विलम्ब हो जाता है।
भामाशाह-क्या करूं प्रिये ? जिस दिन से विवाह कर आया हूं, उसी दिन से राजनैतिक घटनाचक्र तीव्रगति से चल रहा है। चित्तौड़ की रंगभूमि में नित्य नये दृश्य दिखलायी पड़ते हैं, प्रायः पितृवर के साथ दुर्गरक्षा की समस्याएं सुलझाने में व्यस्त रहना पड़ता है । इसी कारण एक भी दिन तुमसे निश्चिन्तता पूर्वक प्रेमालाप नहीं कर सका।
मनोरमा-इसमें आपका क्या दोष ? यह समय ही प्रेमालाप का नहीं, देश की सुरक्षा का है। यदि देश-प्रेम की भावना से प्रेरित होकर ऐहिक सुखों की अवहेलना भी करनी पड़े तो यह कोई शोचनीय विषय नहीं।
भामाशाह-(प्रेमपूर्वक ) इस यौवन में तुम्हारा यह विवेक देख मुझे प्रसन्नता है। वास्तव में यह समय देश की सुरक्षा का है, पर आज जिसके हस्तों में शासन-सूत्र है, वही विलासिता के पंक में मग्न हो कर्तव्यविमुख बैठा है। अपनी अकर्मण्यता से ही वह गत युद्ध में यवनसम्राट् का बन्दी बना था।
मनोरमा-निस्सन्देह । यदि वह अपने मन्त्रियों के कथनानुसार आचरण करता तो इस आपत्ति से आक्रान्त न होता। किन्तु उसका हृदय अबलाओं-सा कायर है।