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________________ भामाशाह __ मोहिनी-(व्यंग पूर्वक ) भामा का विचार ज्ञात करना है अब ! तब नहीं ज्ञात किया जब दक्षिणावर्त शंख गृह में रख लिया ? ____ भारमल्ल-(स्मिति पूर्वक ) तुम्हारी यह व्यंग-वृत्ति कभी तुम्हारा साथ नहीं छोड़ती । अस्तु ! मैं लिखे देता हूं कि आपकी निश्चित की हुई तिथि स्वीकार है। द्वारागमन के दिन वर-यात्रा अलवर पहुंच जायेगी। ___ मोहिनी-लिख दीजिये। वैवाहिक सामग्रियों का संचयन भी शीघ्र कर डालिये। अवधि अंगुलियों पर गणनीय ही है। ____ भारमल्ल-वैवाहिक सामग्रियों की चिन्ता तुम मत करो, सौभाग्य से कोई भी पदार्थ दुर्लभ नहीं। सारा आयोजन अत्यन्त भव्य और सुन्दर रूप में करूंगा। मोहिनी-करना ही पड़ेगा, यदि न करेंगे तो उपालम्भ भी सुनने को मिलेगे। ___ भारमल्ल-विश्वास मानो, ऐसा अवसर नहीं आ सकता। अब मैं शस्त्रागार का निरीक्षण करने जा रहा हूं । रात्रि में पुनः इस विषय पर विशेष विचार करेंगे। ( गमन ) पटाक्षेप
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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