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________________ भामाशाह भारमल्ल-( पत्रिका मोहिनी की ओर बढ़ाते हुए ) लो,पढ़कर अपने प्रश्न का समाधान कर लो और इस सम्बन्ध में अपनी सम्मति दो। मोहिनी-(पढ़कर ) इसमें मेरी सम्मति की क्या आवश्यकता ? आप अपनी स्वीकृति का पत्र आज ही लिख दीजिये। .. भारमल्ल-मेरा भी विचार ऐसा ही है, कारण विलासीनी वीरा के हास-विलास के दास राणा राज्यकार्य से उदास रहते हैं। ऐसी दशा में चाहे जब यवन-वाहिनी चित्तौड़ पर आक्रमण कर संकटकाल ला सकती है। उस समय, शान्तिके वातावरण में ही सम्पादनीय विवाह जैसा कार्य, सम्भव न होगा। पर अभी देश में सामान्यतया शान्ति है; अतः इससे निवृत्त हो लेना ही श्रेयस्कर है। मोहिनी-आप अराजकीय कार्यों में व्यस्त रहने के कारण गार्हस्थ कार्यों को भी राजनैतिक दृष्टिकोण से देखते हैं ........... भारमल्ल- ( मध्य में ही ) तुम भी गार्हस्थ दृष्टिकोण से विचार कर गृहस्वामिनी का कर्तव्य पूर्ण कर लो। मोहिनी-(स्मिति पूर्वक ) करूंगी ही, देखिये । अब मैं गृह-कार्यों को करते करते श्रांत हो गयी हूं, एकाकी कार्य करने में मेरा जी नहीं लगता। अपने इस भार की गुरुता घटाने के लिये भी बधू के रूप में एक सहायिका आवश्यक है । इस दृष्टिकोण से भी भामा का विवाह शीघ्र कर डालना उत्तम है। ' ' भारमल्ल-दृष्टिकोण हमारा और तुम्हारा भले ही भिन्न हो, पर निष्कर्ष एक ही है। अब केवल भामा का विचार ज्ञात करना शेष है। २०
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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