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भामाशाह
मानते हैं ? आज हमारे और आपके हृदय उस स्नेह-सूत्र में सदाके लिये संयुक्त हो गये हैं कि वियुक्त होना असम्भव है। जैसे पतंग आकाश में भले ही कहीं उड़ती रहे, पर जब तक उस सूत्र से दोनों का संयोग है, तब तक वह उड्डायक के हाथ में ही है । यह सोच, जाने का अवसर दीजिये।
भारमल्ल-यदि आपकी यही इच्छा है तो मैं स्वयं आपको पहुंचाने चल रहा हूं। .
भोमा--आप मेरे लिये इतना कष्ट क्यों उठा रहे हैं ?
भारमल्ल-इसमें कष्ट कहां ? अब हम और आप एक हैं, अतएव । आपकी सुविधा में ही मेरी सुविधा निहित है ।
[ गमन ] पटाक्षेप
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