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भामाशाह
भोमा-नहीं, वे अब इस गृह को शून्य बना कर अन्यत्र चले जायेंगे।
अलका-कहां ? किसके यहां ? हमसे अधिक योग्य पात्र उन्हें कौन मिल सकेगा ? __ भोमा-इस प्रश्न का समाधान कर चुकने पर ही उन्होंने ऐसा निश्चय किया है । भारमल्ल कावड़िया के गृह में एक भाग्यवान पुत्र ने जन्म लिया है, उसीके पुण्य से प्रेरित हो शंख देवता का वहां जाना अवश्यम्भावी है।
अलका०-तो फिर कुछ विचारा आपने ?
भोमा-विचारा और जो भी विचारा, कदाचित् वह तुम्हें भी रुचेगा। शंख देवतासे ही ज्ञात हुआ है कि तुम्हारी कुक्षिसे एक कन्या जन्म लेने वाली है। अपनी इस भावी कन्या का परिणयन सम्बन्ध उस महा भाग्यवान बालक से करने के लिये श्रीफल के स्थान में यह दक्षिणावर्त शंख भारमल्ल कावड़िया को देने का मेरा निश्चय है।
अलका०-(स्मितिपूर्वक ) धन्य है आपका निश्चय और धन्य हैं आप, जिसे इतना भाग्यशाली जामाता मिल रहा है। मैं आपके इस सद्विचार की सराहना करती हूं।
भोमा-अब रात्रि अल्प शेष रह गयी है, अतः थोड़ा शयन कर लेना चाहिये। जाओ, तुम शयन करो और मैं भी कुछ देर शयन करता हूं । प्रभात में समारोह पूर्वक शंख देवता को भारमल्ल के यहां ले चलेंगे। ( अलकासुन्दरी का गमन और भोमाका पर्यंक पर मुखाच्छादन कर पुनः शयन)
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