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भामाशाह
मोमा-( सहसा चौंक विस्मयकी मुद्रामें ) हैं, क्या शंख देवता मेरे गृह से जा रहे हैं ? यह केवल स्वप्न है या सत्य ? स्वप्नदाता शंख देवता हैं या अन्य कोई ? विकट समस्या है, बुद्धि विभ्रम में पड़ रही है।
[ नेपथ्य से ] विभ्रम में मत पड़ो, अभी २ जो तुमने स्वप्न देखा वह साधारण स्वप्न नहीं, सत्य है उतना ही, जितना तुम्हारा मनुष्य होना । अब तुम्हारे गृह में वास करने में मुझे असमर्थता है। अतः संकल्प विकल्प त्याग, प्रसन्न हृदय से बिदा दो। ___ मोमा-बिदा दूं ? किसे ? उसे ? जिसकी अर्चना मेरी दिनचर्या का एक प्रधान अंग थी। बिदा दूँ उसे, जिसके प्रसादकी नींव पर मेरे ऐश्वर्य का मन्दिर निर्मित हुवा है ? नहीं, यह मुझसे नहीं हो सकेगा मेरे देवते!
[ नेपथ्य से ] पर तुमसे न हो सकने से मेरे गमन में कोई बाधा नहीं आ सकती, मुझे जाना ही पड़ेगा और शीघ्र ही जाना पड़ेगा। पर मेरी अभिलाषा थी कि आगमन के समय से आज तक जिसकी प्रसन्नता का कारण बनता रहा, गमन के समय उसकी अप्रसन्नता का कारण न बने।
भोमा-यदि तुम्हारी इतनी कृपा है तो मैं स्वयं तुम्हारे अभीष्ट स्थान पर पहुंचाने में सहायक बनूंगा। केवल आजकी रात्रि और मेरे गृह में वास करो, मेरे देवते !
[ नेपथ्य से ] जैसी तुम्हारी इच्छा, मैं अपने भक्त का यह अन्तिम अनुरोध नहीं ठुकरा सकता। पर इतना स्मरण रखना कि यदि कल