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________________ भामाशाह ज्योतिषी - स्वास्थ्य इसका उत्तम रहेगा । पराक्रम प्रतिपक्षियों की पराजयका कारण बनेगा और जीवन पंचाशत से अधिक ही मधुमासों का दर्शन करेगा | भारमल - -धन्य हैं आप, जो भविष्य के भूगर्भ में अन्तर्हित निधियों को हस्तामलकवत् देख लेते हैं । ज्योतिषी - इसमें मेरी क्या विशेषता ? ज्योतिष विद्या के बल से अनेक रहस्यों का उद्घाटन सहज सम्भाव्य है । आप अपने विषय में कोई भी प्रश्न. निस्संकोच करें और फिर देखें ज्योतिष का चमत्कार ! ज्योतिष की परीक्षा लीजिये । भारमल - नहीं, मुझे अपने विषय में नहीं, उसी पुत्र के विषय में कुछ और प्रश्न करने की लालसा है । ज्योतिषी–कीजिये,आपका कोई प्रश्न उत्तर पाये विनाशून्य व्योम में विलीन नहीं हो सकता | भोरमल - प्रश्न यही है कि इसे कभी धनाभाव तो कष्ट न देगा ? ज्योतिषी — नहीं, इसकी शंका स्वप्न में भी न करिये । इस विषय में इसका भाग्य आपसे भी श्रेष्ठतर है । इसका हेतु भी आपसे कह दूं, इसको अपने विवाह के निमित्तसे दक्षिणावर्त्त शंखकी प्राप्ति होगी । भारमल - (विस्मयसे) दक्षिणावर्त्त शंख ! इससे क्या होता है गुरो ? ज्योतिषी - यह शंख देवस्वरूप होता है, जिस गृह में इसका निवास हो जाता है उसमें साक्षात लक्ष्मी ही निवास करने लगती है । करोड़ों की सम्पदा सदैव हाथ जोड़े खड़ी रहती है । भारमल - ( विस्मय से ) तो यह गरिमाशाली शंख इसे मिल जायेगा ?
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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