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मंथन वीरता, स्वामिभक्ति और सहृदयता से महाराणा प्रतापसिंह अनेक बार प्रभावित ये थे । उन्होंने भामाशाह के परिवार के प्रति सदैव प्रेमपूर्ण व्यवहार व्यक्त किया, पर उनके अयोग्य पुत्र अमरसिंह में पिता के सद्गुणों की मात्रा उतनी नहीं थी । मेवाड़ का पतन उनकी अयोग्यता का परिचायक है। जहां वे स्वतन्त्रता के लिये पिताके समान कष्ट भोगने में असफल सिद्ध हुये, वहां वे पिता के समान आत्मसंयमी भी नहीं निकले । कृतज्ञता - प्रकाशन आदि गुण भी उनमें पिता के अनुरूप नहीं थे। मेरे इस कथन की पुष्टि भामाशाह के भ्राता ताराचन्द्र के प्रति किये गये व्यवहार को पढ़ कर सहज ही हो सकती है। जो घटना ताराचन्द्र के परिवार की मृत्यु की भूमिका बनी, उस घटना का उल्लेख श्री मुन्शीजी ने इस प्रकार किया है
'ताराचन्द्र गोड़वाड़ का हाकिम था, वह बड़े अमीराना ठाठ से सादड़ी में रहता था । उसने कीतू नाम की एक खवासन घर में रख छोड़ी थी । वह बहुत सुन्दर थी । महाराणा प्रतापसिंह के बेटे अमरसिंह ने उसकी इस सुन्दरता का वर्णन सुन कर उसे माँगा, तो ताराचन्द्र ने उसे न दिया । इसपर भद्दाराणा ने उसे उदयपुर बुलवा कर मरवा डाला। नैनूराम सेवक उसका गवैया था। वह उसकी पगड़ी लेकर सादड़ी में आया । पगड़ी के साथ उसकी चारों औरतें, खवासन कीतू, ६ गायिकाएं, नैनूराम और उसकी औरत, ताराचन्द्र की एक फूफी, उसका पति और एक मुसलमान औलिया कुल २० आदमी चिता बना कर जल मरे । २१ वीं एक घोड़ी भी थी । *
ताराचन्द्र लँकामत का अनुयायी था, उसने कामत के प्रचार के लिये अपने जीवन में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये थे । उसके कार्यों की महत्ता संस्कृत की एक पट्टावली के निम्न अंश से भली प्रकार ज्ञात हो जाती है:
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' "ताराचन्द्रेण सादड़ी नाम नगरं स्थापितं सर्वत्र पौषधशालादिकानि स्थानानि कारितानि स्थाने स्थाने पुरे पुरे ग्रामे ग्रामे बहुजनेभ्यो धनं दायं २
* वीर शासन १६ दिसम्बर १९५२ पृ० ७ ।
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