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________________ भामाशाह भामाशाह-इसमें अल्प भी सन्देह नहीं; पर अब विचारणीय यह है कि मैं मिर्जा खां से मिलूं या नहीं ? प्रताप सिंह-यदि आप न जायें, तो क्या हानि है ? । भामाशाह-न जाने से अधिक अनिष्ट की सम्भावना है। कदाचित् अकबर स्वयं अपनी सम्पूर्ण शक्ति के साथ हम पर आक्रमण कर बैठे। प्रताप सिंह-यह सम्भव है । पर आपको मिलने के लिये वाध्य करने का उद्देश्य क्या होगा ? भामाशाह-इस विषय में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता, उससे मिलने पर ही वस्तुस्थिति का बोध होगा। ___ प्रताप सिंह-कहीं ऐसा न हो कि आपको एकाकी और असहाय देख कर राजबन्दी बनाने की उद्दण्डता करे । भामाशाह-ऐसी संभावना नहीं है, कारण इस प्रकार की छलना राजनीति के विरुद्ध है। पर यदि अवसर आया भी तो मैं अपने कौशल से बन्धन-मुक्त हो आपकी सेवा में उपस्थित होऊंगा। प्रताप सिंह-यदि आपको यह विश्वास है तो जाइये, पर शीघ्र ही लौट आने का प्रयत्न कीजिये । कारण आपकी उपस्थिति से मेरी चिन्ताओं का अर्द्धाश न्यून हो जाता है। भामाशाह-ऐसा ही होगा। ( गमनोद्यत ) पटाक्षेप ११६
SR No.009392
Book TitleBhamashah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanyakumar Jain
PublisherJain Pustak Bhavan
Publication Year1956
Total Pages196
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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